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गुरुग्राम के एक रेस्तरां में माउथ फ्रेशनर की जगह ड्राई आइस खाने से बीमार हुए पांच लोगों में से चार को छुट्टी मिल गई. दीपक अरोड़ा नामक युवक अब भी निजी अस्पताल में भर्ती है. रेस्तरां मैनेजर गगनदीप को जेल भेजा जा चुका है.
जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी डॉ. रमेश चौहान ने बताया कि रेस्तरां को कारण बताओ नोटिस दिया गया है. 15 दिन के अंदर जानकारी नहीं देने पर इनका लाइसेंस भी निलंबित किया जा सकता है.
यहां होता है इस्तेमाल
डॉक्टरों के मुताबिक आजकल ड्राई आइस रेस्तरां में खाने की चीजों को आकर्षक दिखाने के लिए धुआं बनाने में इस्तेमाल होता है. शादियों या समारोह में दूल्हा-दुल्हन या मेहमानों के प्रवेश के समय फॉग के जरिये इफेक्ट पैदा करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जा रहा. इसका इस्तेमाल वैक्सीन और मांस को ठंडा रखने में भी किया जा रहा है.
क्या होती है ड्राई आइस
गुरुग्राम के निजी अस्पताल के डॉ. स्पर्श गुप्ता और डॉ. आशुतोष के मुताबिक ड्राई आइस को सूखी बर्फ भी कहा जाता है. यह कॉर्बन डाइऑक्साइड का ठोस रूप होता है. इसे न्यूनतम तापमान-80 डिग्री सेल्सियस में रखा जाता है. इसका इस्तेमाल चीजों को ठंडा करने के लिए किया जाता है. यह सामान्य बर्फ की तरह गीली नहीं होती. तापमान कम होने से अगर ये त्वचा के संपर्क में आती है तो कोल्ड बर्न (ठंड की वजह से त्वचा जल जाना) जैसी समस्या हो सकती है.
इस तरह होता है खतरनाक
डॉ. आशुतोष शुक्ला बताते हैं कि जब सामान्य बर्फ पिघलती है तो वह पानी बन जाती है और पानी को जलाने पर वाष्प निकलती है, लेकिन ड्राई आइस जब पिघलती है तो वह पानी बनने की बजाए सीधा गैस बनती है. मुंह के अंदर जाने पर इससे जीभ, तलवा, अंदरुनी अंग जल सकते हैं.