नई दिल्ली। आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी विप्रो (Wipro) के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी (Rishad Premji) जी ने ट्वीट कर आईटी सेक्टर में मूनलाइटिंग प्रैक्टिस को गलत बताया है जिसके बाद मूनलाइटिंग को लेकर देश में बहस छिड़ गई है. दरअसल मूनलाइटिंग को लेकर आईटी सेक्टर (IT Sector) के अलग-अलग दिग्गजों के अलग-अलग विचार हैं. ऋषद प्रेमजी ने इसे धोखाधड़ी बताया है तो वहीं महिन्द्रा और स्विगी ( Swiggy) जैसी कंपनियों को इससे कोई दिक्कत नहीं है.
किस कंपनी की क्या है राय
एक इंटरव्यू के दौरान टेक महिंद्रा (Tech Mahindra) के सीईओ और एमडी (CEO & MD) सी पी गुरनामी ने कहा कि अगर उनकी कंपनी के कर्मचारी मूनलाइटिंग करते हैं तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं है. उन्होंने कहा कि “अगर कोई कर्मचारी हमारी उम्मीदों पर खरा उतर रहा है, हमारे साथ धोखा किए बिना अगर और पैसा कमाना चाहता है, तो हमें कोई दिक्कत नहीं है. अगर कोई ऐसा कर रहा है या करना चाह रहा तो उसके लिए मुबारकवाद, लेकिन कर्मचारियों को इसकी जानकारी देनी चाहिए.” उन्होंने आगे कहा कि उनकी कंपनी मूनलाइटिंग को लेकर जल्द ही नई पॉलिसी भी ला सकती है.
फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी (Swiggy) ने अपने कर्मचारियों के लिए हाल ही एक नई मूनलाइटिंग पॉलिसी लेकर आया है जिसमें कंपनी ने कुछ शर्तों के साथ अपने कर्मचारियों को मूनलाइटिंग के लिए छूट दे दी है. Swiggy ने यह शर्त रखी है कि मूनलाइटिंग के कारण उसकी कंपनी के लाभ को नुकसान नही पहुंचना चाहिए.
क्या होता है मूनलाइटिंग?
मूनलाइटिंग का साधारण सा मतलब है कि जिस ऑफिस में आप काम कर रहे हैं, उसका काम खत्म होने के बाद किसी और जगह काम करना. कोरोना महामारी के समय जब कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम करने लगे थे तो मूनलाइटिंग का ट्रेंड बढ़ गया था. आपको बता दें कि मूनलाइटिंग को लेकर देश में कोई कानून नहीं है लेकिन अगर आप समान कंपनी में काम करते है तो कंपनी गोपनीयता को आधार बनाकर आपके ऊपर मुकदमा कर सकती है और आप एक बड़ी मुसीबत में भी पड़ सकते हैं.