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दिल्ली विधानसभा: कानून-व्यवस्था पर केंद्र को घेरते हुए केजरीवाल ने अपनी जिम्मेदारी से किया किनारा

दिल्ली विधानसभा सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कानून-व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश की। राजधानी में बढ़ते अपराधों और गोलीबारी की घटनाओं को लेकर उन्होंने भाजपा और गृहमंत्री अमित शाह पर आरोप लगाए, लेकिन अपने शासन में सुरक्षा की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदमों का अभाव दिखाया।

केजरीवाल का बयान: जिम्मेदारी से पलायन?

मुख्यमंत्री ने दिल्ली को “गैंगस्टर कैपिटल” करार देते हुए भाजपा पर निशाना साधा। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि उनकी सरकार ने अपराधियों के खिलाफ क्या सख्त कार्रवाई की। केजरीवाल ने अपराध रोकने का दायित्व केंद्र पर डाल दिया, जबकि दिल्ली पुलिस के साथ बेहतर समन्वय बनाना उनकी सरकार की जिम्मेदारी है।

सिसोदिया का हमला: मात्र आरोप, कोई समाधान नहीं

पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली को “शूटआउट कैपिटल” करार दिया और भाजपा पर आरोप लगाए। लेकिन यह नहीं बताया कि आम आदमी पार्टी ने सुरक्षा सुधारने के लिए क्या विशेष कदम उठाए हैं। बढ़ते अपराधों के बीच केवल बयानबाजी करने से क्या दिल्ली सुरक्षित हो जाएगी?

बस मार्शल: सिर्फ राजनीति, समाधान नहीं

आम आदमी पार्टी के विधायक कुलदीप कुमार ने बस मार्शलों की नियुक्ति का मुद्दा उठाया और भाजपा पर आरोप लगाए। लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि उनकी सरकार ने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए क्या व्यावहारिक प्रयास किए। केवल दूसरों पर दोषारोपण से दिल्ली की जनता को रोजगार या सुरक्षा नहीं मिलेगी।

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भाजपा का विरोध और आप सरकार का रवैया

सत्र के दौरान भाजपा ने प्रश्नकाल नहीं कराए जाने का विरोध किया। आम आदमी पार्टी ने जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जगह विपक्ष पर आरोप-प्रत्यारोप में समय बिताया।

सत्येंद्र जैन की वापसी: क्या यह प्राथमिकता है?

सत्र के दौरान जमानत पर रिहा सत्येंद्र जैन का स्वागत करते हुए आम आदमी पार्टी ने अपनी प्राथमिकता स्पष्ट कर दी। जनता के मुद्दों पर चर्चा करने की बजाय पार्टी ने अपने नेताओं की छवि चमकाने पर जोर दिया।

निष्कर्ष: बहस या बहाने?

दिल्ली विधानसभा का यह सत्र आरोप-प्रत्यारोप और राजनीतिक बयानबाजी का अड्डा बन गया। जनता की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था जैसे अहम मुद्दों पर ठोस कदमों की बजाय केवल बयानबाजी देखने को मिली। चुनावी माहौल में यह स्पष्ट है कि आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों जनता के मुद्दों की बजाय राजनीति पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।

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