
सीमा पर तनाव को देखते हुए भारतीय वायुसेना भी अपनी ताकत में इजाफा कर रही है. इसी क्रम में भारतीय वायु सेना मेक इन इंडिया पहल के तहत विकसित की गई देश की पहली स्वदेशी एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम को अधिग्रहण करने के लिए बड़े कदम उठा रही है. इस बाबत वायु सेना ने सरकार को 1,400 करोड़ रुपये से अधिक का प्रस्ताव दिया है. रक्षा अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी. गौरतलब है कि रुद्रम देश की पहली स्वदेशी एंटी रेडिएशन मिसाइल है.
रुद्रम डीआरडीओ के रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक हवा से सतह में मार करने वाली स्वदेशी एंटी रेडिएशन मिसाइल है. इस मिसाइल के जरिए वायुसेना दुश्मन के राडार स्थानों को खोजकर उन्हें नष्ट कर सकती है. रक्षा अधिकारियों ने गुरुवार को बताया, ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा विकसित उन्नत मिसाइलों के अधिग्रहण का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के पास है और जल्द ही एक उच्च स्तरीय बैठक इस पर विचार करेगी.

उन्होंने कहा कि अगली पीढ़ी की विकिरण रोधी मिसाइलों का भारतीय वायु सेना द्वारा अपने सुखोई-30 लड़ाकू विमान बेड़े से पहले ही परीक्षण किया जा चुका है और संघर्ष के दौरान दुश्मन के रडार स्थानों को नष्ट कर सकती है. अधिकारियों ने कहा कि रडार सिस्टम के नष्ट होने से भारतीय वायु सेना को बिना पता लगाए लक्ष्यों को भेदने में मदद मिल सकती है.
भारत में बनाई गई ये अपने आप की पहली मिसाइल है जिसे किसी भी ऊंचाई से दागा जा सकता है. मिसाइल किसी भी तरह के सिग्नल और रेडिएशन को पकड़ने में सक्षम है. साथ ही अपनी रडार में लाकर ये मिसाइल नष्ट कर सकती है. इसकी गति दो मैक या ध्वनि की गति से दोगुनी है.
अगली पीढ़ी की विकिरण-विरोधी मिसाइलों को सुखोई-30 और मिराज-2000 जैसे लड़ाकू विमानों से दागा जा सकता है. यह सटीक है और रडार सिस्टम को ट्रैक करने की क्षमता के साथ विकसित किया गया है. भारत में बनाई गई ये अपने आप की पहली मिसाइल है जिसे किसी भी ऊंचाई से दागा जा सकता है. मिसाइल किसी भी तरह के सिग्नल और रेडिएशन को पकड़ने में सक्षम है. रडार में लाकर ये मिसाइल नष्ट कर सकती है.