
नई दिल्ली . प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में लोगों की भागीदारी के साथ-साथ सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि कोई विचार तब जन आंदोलन बन जाता है, जब वह चर्चा की मेज से रात्रि भोज की मेज तक पहुंच जाता है.
प्रधानमंत्री ने विश्व नेताओं से कहा कि जब लोग इस बात को लेकर सजग हो जाते हैं कि रोजाना के जीवन में की गई उनकी छोटी-छोटी कोशिशें भी बेहद कारगर साबित हो सकती हैं, तो पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. उन्होंने विश्व बैंक की ओर से ‘मेकिंग इट पर्सनल हाउ बिहेवियरल चेंज कैन टैकल क्लाइमेट चेंज’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में कहा, दुनियाभर के लोग जलवायु परिवर्तन के बारे में बहुत कुछ सुनते हैं. उनमें से कई लोग बहुत बेचैनी महसूस करते हैं, क्योंकि वे नहीं जानते कि वे इसका प्रभाव कम करने के लिए क्या कर सकते हैं. अगर उन्हें पता चल जाए कि वे भी योगदान दे सकते हैं, तो उनकी बेचैनी कार्रवाई में बदल जाएगी.
जलवायु परिवर्तन का प्रजातंत्रीकरण पिछले साल अक्तूबर में उनके और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस द्वारा शुरू किए गए मिशन लाइफ का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कार्यक्रम का मकसद जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई का प्रजातंत्रीकरण करना है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की वार्षिक वसंत बैठकों के इतर आयोजित इस सम्मेलन में मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला सिर्फ सम्मेलन कक्ष की मेज पर बैठकर नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसकी लड़ाई हर घर से लड़ी जानी चाहिए.
भारत के कई हिस्सों में लिंगानुपात सुधरा मोदी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जन प्रयासों ने भारत के कई हिस्सों में लिंगानुपात में सुधार किया है. लोगों ने बड़े पैमाने पर स्वच्छता अभियान चलाया है. चाहे नदियां हों, या समुद्र तट या सड़कें, भारत के लोग यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी न हो.
37 करोड़ एलईडी बल्ब बेचे जा चुके मोदी ने कहा कि लोगों ने ही एलईडी बल्ब अपनाने वाले अभियान को सफल बनाया. भारत में करीब 37 करोड़ एलईडी बल्ब बेचे जा चुके हैं. यह हर साल लगभग 3.9 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन घटाने में मदद कर रहा है. भारत के किसानों ने सुनिश्चित किया कि करीब 7,00,000 हेक्टेयर कृषि भूमि सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के दायरे में आए. मोदी ने रेखांकित किया कि प्रति बूंद अधिक फसल के मंत्र को साकार करते हुए इससे भारी मात्रा में पानी की बचत हुई है.
22 अरब यूनिट बिजली की बचत होगी प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे प्रयासों से 22 अरब यूनिट बिजली की बचत होगी. 9000 अरब लीटर पानी बचेगा. 37.5 करोड़ टन कचरे में कमी आएगी. करीब लाख टन ई-कचरे का पुनर्चक्रण होगा. ये प्रयास 15 अरब टन खाद्यान्न की बर्बादी रोकने में भी हमारी मदद करेंगे. दुनियाभर के देशों को प्रोत्साहित करने में वैश्विक संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है.