राष्ट्र

भारतीय कफ सिरप से हुई मौतों के दावे की जांच शुरू

नई दिल्ली. भारत में बने कफ सिरप से अफ्रीकी देश गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के दावे पर सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए जांच शुरू कर दी है. हरियाणा स्थित कंपनी से दवाओं के नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से भी रिपोर्ट मांगी गई है ताकि पता चल सके कि मौत इसी सिरप से हुई या किसी और वजह से.

 इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने चार कफ सिरप को खतरनाक बताते हुए बिक्री पर रोक लगाने को कहा था. इसके बाद भारत सरकार की एजेंसी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने जांच शुरू की.

 सोनीपत में बने सिरप चारों सिरप हरियाणा की सोनीपत स्थित मेडन फार्मास्यूटिकल्स ने बनाए थे. स्वास्थ्य मंत्रालय यह भी जांच कर रहा है कि इन दवाओं को केवल गाम्बिया ही भेजा गया या कहीं और भी आपूर्ति हुई. कंपनी का दावा है कि भारत में एक भी कफ सिरप की आपूर्ति नहीं हुई थी. दो दिन में नमूनों के नतीजे सीडीएससीओ ने कहा, हरियाणा राज्य औषधि नियंत्रक के सहयोग से मामले की जांच शुरू की गई है. जांच के नतीजे दो दिन में आ जाएंगे. उधर, डब्ल्यूएचओ ने छह दिन बाद भी दवाओं की पूरी जानकारी सरकार को नहीं दी.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह ने कहा पूरे मामले की जांच होनी चाहिए है. जब भी किसी दूसरे देश में भारत दवाई भेजता तो उसकी चेकिंग होती तो ऐसे में यह  भी देखना होगा कफ सिरप के साथ कोई दूसरी मेडिसिन तो नहीं भेजी गई. डब्ल्यूएचओ को सारे सबूत देने चाहिए ताकि निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके, क्योंकि यह देश की प्रतिष्ठा का सवाल है. वहीं इस मामले में भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया(DGCI) के सूत्रों का कहना है कि जांच की जा रही है.

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सरकार का क्या कहना है?

 हिंदुस्तान की कोई भी दवाई, जब किसी दूसरे देश में जाती है तो वो इसे बाजार में बेचने या इस्तेमाल करने से पहले उसकी टेस्टिंग करता है. ऐसे में जब गाम्बिया में चेक हुआ तो पता क्यों नहीं लगा.

 डब्ल्यूएचओ बताए कि क्या चारों ड्रग बिना परीक्षण के ही प्रयोग कर ली गई.

 मेडिन फार्मासुटिकल्स के Drugs के सैंपल की देश की सेंट्रल और रीजनल ड्रग लैब में टेस्टिंग होगी, जिसका रिजल्ट अगले दो दिनों में आ जाएगा.

स्वास्थ्य मंत्रालय यह भी देख रहा है कि क्या चारों कोल्ड और कफ सिरप गाम्बिया गए या फिर कहीं  दूसरी जगह भेज दिए गए.

 मेडिन फार्मासुटिकल्स को दवाई निर्यात करने के लिए मैन्युफैक्चरर करने का लाइसेंस ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत हरियाणा ड्रग कंट्रोलर ने दिया था.

एसओपी के मुताबकि किसी देश की दवाई के बारे डब्ल्यूएचओ कोई भी गाइडलाइन या एडवाइजरी उसके सब्सटेंडर्ड होने को लेकर जारी करता तो उसे मेडिसिन के लेबल की फोटो उस देश के रेगुलेटर के साथ शेयर करनी होती है. 6 दिन होने के बाद भी डीजीसीआई को डब्ल्यूएचओ ने पैकेजिंग के लेबल की फोटो और बैच की जानकारी नहीं दी है.  डीजीसीआई ने इसको लेकर चार दिन पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन के जेनेवा ऑफिस को ईमेल भी भेजा था.

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