नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के ठिकानों और उससे जुड़े लिंक पर केरल और तमिलनाडु समेत देशभर के 10 राज्यों में छापेमारी की है. पीएफआई से जुड़े लोगों पर टेरर फंडिंग और कैंप चलाने के मामले में ईडी और एनआईए ने राज्य पुलिस बलों की टीम के साथ यूपी, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु समेत कई राज्यों में छापेमारी की है. ये छापेमारी आतंकी गतिविधियों के संचालन, प्रशिक्षण शिविर चलाने और प्रतिबंधित संगठनों में शामिल होने के लिए लोगों को कट्टरपंथी बनाने में शामिल व्यक्तियों के आवासीय और आधिकारिक परिसरों में की जा रही है.
10 राज्यों से 100 से ज्यादा पीएफआई सदस्य गिरफ्तार
गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, केरल सहित देश के 10 राज्यों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के 50 ठिकानों पर एनआईए (NIA) और ईडी (ED) की रेड चल रही है और अब तक 100 से ज्यादा पीएफआई के सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. पीएफआई के नेताओं और इस संगठन से जुड़े ऑफिस पर सर्च जारी है. इस छापेमारी में एनआईए के साथ ईडी भी शामिल है.
एनआईए ने 18 सितंबर को की थी 23 जगहों पर छापेमारी
इससे पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 18 सितंबर को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 23 जगहों पर छापेमारी की थी, जहां कराटे प्रशिक्षण केंद्र के नाम पर प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के ट्रेनिंग कैंप चलाए जा रहे थे. एनआईए ने निजामाबाद, कुरनूल, गुंटूर और नेल्लोर जिले में रेड की थी. सूत्रों के अनुसार, इन जगहों पर आतंकी गतिविधियों के संचालन की जानकारी मिली थी.
एनआईए ने इस महीने की शुरुआत में भी पीएफआई मामले में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 40 स्थानों पर छापेमारी की और चार लोगों को हिरासत में लिया था. एजेंसी ने तब तेलंगाना में निजामाबाद जिले के अब्दुल खादर और 26 अन्य व्यक्तियों से संबंधित मामले में तेलंगाना में 38 स्थानों (निजामाबाद में 23, हैदराबाद में चार, जगत्याल में सात, निर्मल में दो, आदिलाबाद और करीमनगर जिलों में एक-एक) और आंध्र प्रदेश में दो स्थानों (कुरनूल और नेल्लोर में एक-एक) पर तलाशी ली थी.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस ऑपरेशन में डिजिटल डिवाइस, दस्तावेज, दो खंजर और 8,31,500 रुपये नकद सहित आपत्तिजनक सामग्री जब्त की थी. एनआईए के अनुसार, आरोपी आतंकवादी कृत्यों को करने के लिए प्रशिक्षण देने और धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए शिविर आयोजित कर रहे थे.