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अब केंद्र भी प्रोत्साहित करेगा जैविक खेती को

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में  महत्वकांक्षी गोधन न्याय योजना लागू की गई, जिसमें पशु पालकों से गोबर क्रय करके गोठानों में वर्मीकंपोस्ट का निर्माण किया जा रहा है। इसी दिशा में अब केंद्र सरकार भी अपने कदम बढ़ा रही है। केंद्र सरकार द्वारा गोठानों के माध्यम से जैविक खाद उत्पाद को बढ़ावा दिया जाएगा।
इससे पूर्व लोकसभा में कृषि मामलों की स्थायी समिति ने छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना की सराहना करते हुए केंद्र सरकार को सुझाव दिया था कि किसानों से मवेशियों के गोबर खरीद की ऐसी ही योजना पूरे देश के लिए शुरू की जानी चाहिए। इससे रोजगार के साथ ही जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा। जिसके बाद अब केंद्र सरकार यूरिया आधारित उर्वरकों से निर्भरता कम करने के लिए जैव उर्वरक के उत्पादन पर जोर दे रही है।
केंद्र सरकार के सब्सिडी बिल में कटौती करने से देश में खाद की कीमतें आसमान छू रही है। किसानों को इससे राहत देने के लिए जैविक खाद के उत्पादन के लिए एक लंबी अवधि की योजना बनाई जा रही है। योजना के अनुसार, केंद्र सरकार की मंशा गौशालाओं से जैविक खाद के उत्पादन और उसके बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उपयोग पर है। इस योजना के द्वारा वर्मीकम्पोस्ट और बायोगैस उत्पादन से ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का विकास होगा, इसके साथ ही मवेशियों को आर्थिक संपत्ति में बदलने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, जैविक खाद के उत्पादन, पैकेजिंग, विपणन और वितरण के लिए एक आधारभूत ढांचे का विकास किया जाएगा। जिसके लिए केंद्र सरकार गौशालाओं, डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को जोड़कर पीपीपी मॉडल पर कार्य कर सकती है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना का संचालन सुराजी गांव योजना के तहत गांव-गांव में निर्मित गौठानों के माध्यम से किया जा है। इन्हीं गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत वर्मी कंपोस्ट टैंकों का निर्माण किया गया है, जिनमें स्व सहायता समूहों की महिलाएं जैविक खाद का निर्माण कर रही हैं। गोबर की खरीद गौठान समितियों के माध्यम से 2 रुपये किलो की दर से की जाती है। वहीं वर्मी कंपोस्ट बनाकर 10 रुपये किलो की दर से बेचा जा रहा है।
अब तक गोबर विक्रेता किसानों, पशुपालकों और संग्राहकों को 250 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। स्व सहायता समूहों द्वारा अब तक 71 हजार 300 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा चुका है। वर्तमान में 7841 स्व-सहायता समूह गौठान की गतिविधि संचालित कर रहे है। जहां वर्मी खाद उत्पादन, सामुदायिक बाड़ी, गोबर दिया निर्माण इत्यादि विभिन्न गतिविधियों से आय अर्जित की जा रही है।

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