OLA कैब्स के CEO पर 15 हजार रुपए का जुर्माना

बेंगलूरु . ओला कैब्स के सीईओ भाविश अग्रवाल को एक कैब यूजर को 15,000 रुपए हर्जाने के रूप में देने होंगे. यह राशि बेंगलूरु के कैब उपयोगकर्ता विकास भूषण को दिए जाएंगेे, जिन्होंने कैब में एसी चालू नहीं होने पर कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता न्यायालय में वाद दायर किया था. विकास ने मार्च 2022 में ओला कैब बुक थी. इसमें एसी काम नहीं कर रहा था, जबकि उनसे इसका पूरा चार्ज वसूला गया. इसकी शिकायत कंपनी सीईओ से की गई. लेकिन, उन्होंने कोई सुनवाई नहीं की.
यह था पूरा मामला
विकास ने 18 अक्टूबर 2021 को 80 किमी के सफर के लिए ओला कैब बुक की थी. कंपनी ने कैब बुक करते वक्त बताया कि उन्हें एक्स्ट्रा लैग रूम और एसी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. लेकिन भूषण ने पाया कि यात्रा के दौरान कैब का एसी काम नहीं कर रहा था. एसी न चलने से उन्हें काफी परेशानी हुई और जैसे-तैसे उन्होंने अपना सफर पूरा किया. कैब में शिकायत का कोई साधन मौजूद नहीं था. उन्होंने किराए के 1837 रुपये चुका दिए.
बाद में उन्होंने कस्टमर केयर से संपर्क साधा और रिप्रेजेंटेटिव्स को बताया कि कंपनी ने उनसे एसी का भी चार्ज ले लिया, लेकिन यह सुविधा मुहैया नहीं कराई गई. इसलिए उन्हें रिफंड चाहिए. कंपनी की तरफ से कहा गया कि एसी का कोई एडिशनल चार्ज नहीं लिया गया था. इसलिए रिफंड नहीं दिया जाएगा. विकास ने मेल से कंपनी सीईओ भावेश से शिकायत की पर कोई नतीजा नहीं निकला.
विकास ने 11 नवंबर 2021 को नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई और रिफंड की मांग की. ओला ने बाद में भूषण की यह बात मान ली कि एसी सर्विस में शामिल थी, लेकिन रिफंड से इनकार कर दिया और 100 रुपये का कूपन दे दिया. विकास भूषण ने हार नहीं मानी और कंज्यूमर कोर्ट में केस दाखिल कर दिया.
भूषण ने मई 2022 में बेंगलुरु अर्बन डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमिशन का दरवाजा खटखटाया. 18 जनवरी 2023 को कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अग्रवाल को 10 हजार रुपये का मुआवजा देना होगा. साथ ही उन्हें भूषण के कानूनी खर्च के 5 हजार रुपये और 1837 रुपये ब्याज के साथ चुकाने के लिए कहा गया. कंपनी को यह पैसा दो महीने के अंदर देना होगा.