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खुफिया एजेंसियों द्वारा दिसंबर में नक्सलियों की हरकत बढ़ने की आशंका जताने के बीच सुरक्षा बलों ने कोर नक्सल इलाको में घुसकर आरपार के ऑपरेशन की तैयारी कर ली है. सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ के सबसे दुरूह इलाको में भी सुरक्षा बल घुसने को तैयार हैं. अगर सुरक्षा बलों की रणनीति सटीक रही तो सघन जंगलों में भी नक्सली सुरक्षित नहीं रह जाएंगे. इसे सुरक्षा बलों की आरपार की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है.
सूत्रों ने कहा, सुरक्षा बलों की निगाह छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल गढ़ के साथ पड़ोसी राज्यों की सीमा से सटे इलाकों में नया गढ़ बनाने की नक्सली मुहिम पर भी है. लिहाजा ऑपरेशन के लिए केंद्रीय बलों के साथ छत्तीसगढ़, उड़ीसा के अलावा अन्य राज्य की पुलिस के साथ समन्वय बनाया जा रहा है.
ड्रोन से होगी निगरानी ड्रोन से निगरानी, आईईडी विस्फोट से निपटने के लिए प्रशिक्षित दस्ते, तकनीकी और स्थानीय लोगों की मदद से पूरे इलाके की मैपिंग करके ऑपरेशन को अंजाम दिया जाएगा. सीआरपीएफ ने ऑपरेशन के लिहाज से नये यूएवी भी खरीदे हैं जिनसे सघन नक्सल इलाकों में निगरानी की जाएगी. केंद्रीय सशस्त्रत्त् पुलिस बल और राज्यों के विशेष पुलिस बल खुफिया एजेंसियों के समन्वय के साथ ऑपरेशन को अंजाम देंगे.
बस्तर डिविजन सबसे ज्यादा प्रभावित
बस्तर डिविजन में सुरक्षाबलों पर नक्सली हमलों का इतिहास पुराना रहा है. यह अभी भी सबसे ज्यादा प्रभावित है. इनमें सात जिले कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर आते हैं. यहां गर्मियों में नक्सली टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन चलाते हैं, जबकि दिसंबर में पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी-पीएलजीए सप्ताह मनाते हैं.
90 हजार जवान तैनात
पूरे बस्तर में 90 हजार जवान तैनात हैं. इनमें पैरामिलिट्री फोर्स के साथ-साथ डीआरजी के जवान शामिल हैं. सबसे अधिक 30 बटालियन सीआरपीएफ की है, जिसमें कोबरा बटालियन भी है.