कोलंबो. श्रीलंका के राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहे विपक्ष के नेता सजित प्रेमदासा (Sajith Premadasa) ने देश के अबतक के सबसे बड़े आर्थिक संकट के कारण संघर्ष कर रहे ‘लोगों की बात सुनने’ और प्रदर्शनकारियों के दबाव में देश छोड़कर भागे पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को जवाबदेह ठहराने का शुक्रवार को संकल्प लिया है. प्रेमदासा ने कोलंबो में अपने कार्यालय से ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर वो संसद में चुनाव जीत जाते हैं, तो ये सुनिश्चित करेंगे कि श्रीलंका में ‘निर्वाचित तानाशाही फिर कभी न हो.’
‘श्रीलंका को लूटने वालों को पकड़ना हमारा काम’
सजित प्रेमदासा ने कहा, ‘हमें यही करना चाहिए. श्रीलंका को लूटने वालों को पकड़ना हमारा काम है. यह काम उचित संवैधानिक, कानूनी एवं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के जरिए किया जाना चाहिए.’ बताते चलें कि देश के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे बुधवार को सेना के एक विमान से देश से बाहर चले गए थे. उन्होंने शुक्रवार को अपने इस्तीफे की आधिकारिक घोषणा की. इस समय प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभाल रहे हैं.
‘जिम्मेदार और जवाबदेह सरकार बनाएंगे’
प्रेमदासा ने कहा, ‘हमें भ्रष्टाचार विरोधी सूचकांक में श्रीलंका की स्थिति मजबूत करनी होगी. हमें सुशासन सूचकांक में श्रीलंका की स्थिति मजबूत करनी होगी. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम पारदर्शिता, जवाबदेही और जिम्मेदार सरकार को प्रोत्साहित करने वाले ढांचे की स्थापना करें.’
उन्होंने कहा कि 20 जुलाई को होने वाले चुनाव के लिए राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में उनकी समागी जन बालवेगया पार्टी और उनके गठबंधन ने सर्वसम्मति से उनका समर्थन किया है. उन्होंने साथ ही स्वीकार किया कि सफल होने के लिए आवश्यक समर्थन हासिल करना उनके लिए कठिन हो सकता है, क्योंकि संसद में बहुमत अब भी राजपक्षे की पार्टी के पास है.
दिवालिया हुआ देश
प्रेमदासा ने कहा कि श्रीलंका दिवालिया हो गया है और सरकार महीनों से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से वित्तीय सहायता को लेकर बातचीत कर रही है तथा भारत जैसे पड़ोसियों की मदद से काम कर रही है. उन्होंने कहा कि वह देश को आर्थिक संकट से निकालने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और अन्य देशों के साथ मिलकर काम करेंगे.
राजपक्षे ने त्यागपत्र में किया खुद का बचाव
श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपने त्यागपत्र में खुद का बचाव करते हुए कहा उन्होंने पूरी क्षमता के साथ मातृभूमि की रक्षा की और भविष्य में भी ऐसा ही करते रहेंगे. राजपक्षे के इस त्यागपत्र को शनिवार को संसद के विशेष सत्र के दौरान पढ़ा गया. उनके इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति पद के लिए हुई रिक्ति की घोषणा करने के सिलसिले में संक्षिप्त समय के लिए श्रीलंकाई संसद की बैठक हुई. अर्थव्यस्था को संभालने में सरकार की नाकामी के चलते श्रीलंका में तेज हुए विरोध प्रदर्शनों के चलते बुधवार को राजपक्षे देश से भाग गए थे. सिंगापुर से राजपक्षे द्वारा भेजे गए त्यागपत्र को संसद के 13 मिनट के सत्र के दौरान पढ़ा गया. राजपक्षे (73) ने अपने त्यागपत्र में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के बदतर होने के लिए कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन को जिम्मेदार ठहराया है.