कोरोना महामारी के बाद तेजी से बढ़े सडन कार्डियो अटैक के कारणों का पता चल गया है। आने वाले दिनों में इसकी रोकथाम के लिए दवा का विकास किया जाएगा। यह दावा विशेषज्ञों ने एम्स में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फार्माकोलॉजी सम्मेलन और भारतीय फार्माकोलॉजी सोसायटी के 54 वें वार्षिक सम्मेलन में किया।
विशेषज्ञों का दावा है कि ऐसे मामलों के बढ़ने के पीछे मस्तिष्क से निकलने वाले कैटेकोलामाइन हार्मोन के साथ ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस है। दरअसल, शरीर में एन प्रोटिन रक्षात्मक कार्य करता है। इन्हें एसी 2 रेगुलेट करता है। जब शरीर में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है तो दिल के धड़कन की गति तेज हो जाती हैं। इसे नियंत्रित करने के लिए मस्तिष्क से कैटेकोलामाइन हार्मोन रिलीज होते हैं। इसका कारण दिल को नियंत्रित करना होता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा रिलीज होने के कारण यह दिल की पंपिंग को बंद कर देता है जिससे मरीज की मौत तक हो जाती है। कोविड के बाद ऐसे मामले बढ़े, लेकिन 80 फीसदी इससे अछूते रहे। 20 फीसदी मरीज गंभीर हुए। 5 फीसदी में स्थिति ज्यादा खराब हुई। एम्स में आयोजित फार्माकोलॉजी कांफ्रेंस में कनाडा से आए भारतीय मूल के दिल के विशेषज्ञ डॉ. एन एस ढल्ला ने कहा कि 80 फीसदी कैंसर के मरीजों के मौत के पीछे दिल की बीमारी कारण होती है। कीमोथेरेपी की दवा के साइड इफेक्ट्स से दिल का रोग बढ़ता है।
दवाओं में हो रहा सुधार, इंजेक्शन का काम करेगी क्रीम
डॉक्टरों ने कहा कि दवाओं के विकास की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। एक समय बोटॉक्स जैसी दवाओं को इंजेक्शन देने की जरूरत होती थी। अब वहीं फायदा क्रीम से भी होने लगा है। इसे शरीर पर लगाने से ही फायदा मिलेगा। एम्स में फार्माकोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो डीएस आर्य का कहना है कि ये दवाएं कैंसर कोशिकाओं पर विशिष्ट प्रोटीन को पहचानती हैं और उन्हीं पर हमला करती हैं। इससे शरीर की अन्य स्वस्थ कोशिकाओं को कम नुकसान पहुंचता है।