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क्या है डिजिटल रुपया, डिजिटल करेंसी से कैसे है अलग, और यह कैसे करेगी काम, आसान भाषा में समझें

रिजर्व बैंक मंगलवार को उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया जिनकी अपनी डिजिटल करेंसी है. यानी भारत का अब अपना डिजिटल रुपया होगा. डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत हो चुकी है और इसका इस्तेमाल अभी सरकारी प्रतिभूतियों के लेनदेन के लिए किया जा रहा है. अभी होलसेल सेगमेंट में ही डिजिटल रुपये से लेनदेन होगा. रिटेलर्स के लिए पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत एक महीने में शुरू की जाएगी. होलसेल सेगमेंट में अभी देश के 9 बैंकों को चुना गया है जिनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भी शामिल हैं.

डिजिटल करेंसी का सबसे बड़ा फायदा दूसरे देशों में लेनदेन करने और एक बैंक से दूसरे बैंक में ट्रांजैक्शन करने में आसानी होगी. यह काम बेहद तेज होगा. डिजिटल करेंसी को समझने के लिए डिजिटल ट्रांजैक्शन और डिजिटल रुपये के अंतर को समझना होगा. डिजिटल ट्रांजैक्शन वो होता है जिसमें हम अपने रुपये-पैसे को डिजिटल माध्यम से किसी को देते हैं. दुकानदार हो या किसी दूसरे व्यक्ति को आपको पैसे देने हों. इसमें हम अपने रुपये-पैसे को डिजिटल तरीके से दूसरे को देते हैं. इसे डिजिटल ट्रांजैक्शन कहते हैं जो कि डिजिटल करेंसी से बिल्कुल अलग है.

डिजिटल करेंसी में आपका रुपया ही पूरी तरह से डिजटल होगा. डिजिटल ट्रांजैक्शन में आपका रुपया डिजिटल नहीं होता बल्कि उसे भेजने का तरीका डिजिटल होता है. डिजिटल करेंसी में ऐसा नहीं होगा क्योंकि आप डिजिटल ट्रांजैक्शन करते वक्त किसी को डिजिटल रुपया ही देंगे. भारत का डिजिटल रुपया कैसा होगा, अभी इसका कोई स्वरूप निश्चित नहीं है. अभी थोक ट्रांजैक्शन के लिए डिजिटल रुपये का इस्तेमाल हो रहा है जिसका पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इस काम में अभी 9 बैकों को शामिल किया गया है जो डिजिटल रुपये के माध्यम से एक दूसरे को मनी ट्रांसफर करते हैं या लेनदेन करते हैं.

क्या है सीबीडीसी?

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भारतीय रिजर्व बैंक सीबीडीसी को वैध मुद्रा (लीगल मनी) के रूप में जारी करेगा. ये देश की करेंसी का एक डिजिटल रिकॉर्ड या टोकन होगा जिसे लेनदेन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. गौरतलब है कि बिटकॉइन को लेनदेन के माध्यम के तौर पर कम और इन्वेस्टमेंट के रूप में अधिक देखा जाता है. आरबीआई का कहना है कि डिजिटल रुपये से पेमेंट सिस्टम और सक्षम बन जाएगा. भारत अकेला नहीं है जो सीबीडीसी पर काम कर रहा है. कई देशों में इसके पायलेट प्रोजेक्ट शुरू हो चुके हैं.

क्या है फायदा?

इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि आप इसे कैश में तब्दील कर सकते हैं. इसके अलावा डिजिटल लेनदेन पर लगने वाला शुल्क कम हो जाएगा. डिजिटल रुपया किसी करेंसी फ्रॉड से बचने में अधिक सक्षम होगा क्योंकि इसकी हर यूनिट यूनिक होगी जैसा फिएट करेंसी या पेपर मनी के साथ होता है. इसे आप डिजिटल पेमेंट की ही तरह कोई भुगतान करने या स्टोर करने के लिए इस्तेमाल कर पाएंगे. आरबीआई का कहना है कि इससे मौद्रिक और वित्तीय नीतियों के क्रियान्वयन में भी आसानी होगी. इसके आने से कैश पर लोगों की निर्भरता और कम हो जाएगी.

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