एम्स दिल्ली ने महिला मरीजों और स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा गार्ड्स में एक तिहाई महिलाओं को शामिल करने का निर्णय लिया है। साथ ही, महिलाओं की ड्यूटी प्रबंधन करने वाले अधिकारियों के पदों पर भी आरक्षण दिया जाएगा।
महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता
- एम्स में 3200 सुरक्षा गार्ड्स हैं, जिनमें अधिकतर पुरुष हैं।
- मातृ एवं शिशु ब्लॉक सहित अन्य स्थानों पर महिलाओं की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है।
- महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने से मरीज और स्टाफ दोनों की सुरक्षा मजबूत होगी।
महिलाओं को आरक्षण का आदेश
एम्स निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास के आदेश के मुख्य बिंदु:
- महिला सुरक्षा गार्ड्स की नियुक्ति: सुरक्षा गार्ड्स में कम से कम 33% महिलाएं होनी चाहिए।
- प्रबंधन में आरक्षण: महिला सुरक्षा गार्ड्स की ड्यूटी तय करने वाले अधिकारियों में भी महिलाओं को शामिल किया जाएगा।
- आउटसोर्सिंग का सुधार: सुरक्षा कर्मियों की नियुक्ति और प्रबंधन प्रक्रिया में सुधार किया जाएगा।
पृष्ठभूमि और निर्णय की जरूरत
- महिला शिकायत: एक महिला गार्ड ने रात की ड्यूटी से जुड़ी समस्याओं पर एम्स प्रशासन को शिकायत की थी।
- महिला मरीजों की संख्या: एम्स की ओपीडी में रोजाना 15,000 से अधिक मरीज आते हैं, जिनमें बड़ी संख्या महिलाओं की होती है।
- झिझक की समस्या: महिलाएं अक्सर पुरुष सुरक्षा गार्ड्स से अपनी समस्याएं साझा करने में हिचकिचाती हैं।
प्रभाव और भविष्य की उम्मीदें
- सुरक्षा में सुधार: महिला गार्ड्स की संख्या बढ़ने से मरीजों और स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
- सहज संवाद: महिला मरीज बिना झिझक अपनी समस्याएं साझा कर सकेंगी।
- समाज में बदलाव: संस्थानों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का यह कदम समानता की दिशा में महत्वपूर्ण है।
एम्स दिल्ली का यह निर्णय न केवल महिला मरीजों और स्टाफ की सुरक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि समाज में लैंगिक समानता की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम भी साबित होगा। महिला गार्ड्स की नियुक्ति और आरक्षण का यह कदम अन्य संस्थानों के लिए मिसाल बनेगा।