बेंगलुरु, 16 जुलाई (एक हिंदू युवक की सनसनीखेज हत्या के मामले की जांच कर रहे कर्नाटक पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने एक आरोपपत्र दाखिल किया है, जिसमें कहा गया है कि युवक की हत्या इसलिए की गई, क्योंकि वह उर्दू भाषा नहीं बोल सकता था. पुलिस सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी. 22 वर्षीय चंद्रू की 5 अप्रैल को बेंगलुरू के जेजे नगर थाना क्षेत्र में लोगों के एक समूह ने हत्या कर दी थी. गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सी.टी. रवि और अन्य भाजपा नेताओं ने कहा कि चंद्रू की हत्या सांप्रदायिक थी और उसकी हत्या इसलिए की गई, क्योंकि वह उर्दू भाषा नहीं बोल सकता था.
मामले की जांच करने वाले सीआईडी के अधिकारियों ने कहा कि चंद्रू की हत्या भाषा को लेकर हुई थी. पुलिस ने एक नाबालिग समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था, जो सभी अल्पसंख्यक समुदाय के थे.
सूत्र बताते हैं कि उन्होंने पहले अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) अदालत में 171 पन्नों का आरोपपत्र जमा किया है और 49 लोगों को गवाह के रूप में नामित किया है. चार्जशीट में कहा गया है कि मृतक का दोस्त साइमन राज जन्मदिन मनाकर पांच अप्रैल को चंद्रू के साथ बाइक से जा रहा था.
पैदल चल रहे शाहिद पाशा ने अचानक साइमन राज को अपशब्द बोलना शुरू कर दिया. पूछताछ करने पर आरोपी ने कहा कि उसने कुछ नहीं कहा. बाद में, जब आरोपियों ने एक बेकरी के पास फिर से उनके साथ दुर्व्यवहार किया, तो साइमन राज और चंद्रू ने उसे धक्का दे दिया.
बाद में चंद्रू की जांघ में छुरा घोंपा गया, जबकि उसका दोस्त साइमन राज भागने में सफल रहा. पुलिस ने कहा, स्थानीय लोगों ने उसे अस्पताल ले जाने की जहमत नहीं उठाई और ना ही पुलिस को फोन किया. बहुत बाद में वापस आए साइमन राज ने चंद्रू को अस्पताल में भर्ती कराया था.
अस्पताल में अत्यधिक रक्तस्राव के कारण चंद्रू ने दम तोड़ दिया. बाद में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.
इससे पहले, बेंगलुरू शहर के तत्कालीन पुलिस आयुक्त कमल पंत ने सत्तारूढ़ भाजपा के बयान का खंडन किया था और कहा था कि चंद्रू की हत्या सिर्फ रोड रेज का मामला है और इसमें कुछ भी सांप्रदायिक नहीं है.
गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र, जिन्होंने बेंगलुरू में युवक की हत्या के मामले को यह कहकर सांप्रदायिक रंग दे दिया था कि उर्दू में बोलने से इनकार करने पर उसकी हत्या कर दी गई थी, बाद में अपने बयानों से पीछे हट गए और उसी के लिए माफी मांगी.
जब पूरा राज्य अशांति के दौर से गुजर रहा है, उस समय मंत्री के लापरवाह रवैये की आलोचना की गई.
विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने गृह मंत्री के इस्तीफे की मांग की थी और पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने उन्हें यह कहते हुए आलोचना की थी कि वह हत्याओं के मामलों में भी राजनीति करने के स्तर तक गिर गए हैं. मामले को संभालने से जनता भी आक्रोशित थी.
सीआईडी द्वारा आरोपपत्र पर विपक्षी कांग्रेस द्वारा आपत्ति किए जाने की संभावना है, क्योंकि मामले ने सांप्रदायिक मोड़ ले लिया है.