
ओलंपिक सिल्वर मेडल विजेता मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में इतिहास रच दिय. उन्होंने भारोत्तोलन विश्व चैंपियनशिप में 200 किग्रा कुल वजन उठाकर रजत पदक हासिल किया. इस दौरान चीन की वेटलिफ्टर जियांग हुइहुआ ने 206 किग्रा भार उठाकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया. वहीं चीन की एक अन्य वेटलिफ्टर होऊ झिहुई ने 198 किग्रा भारत उठाकर पोडियम पर जगह बनाई. झिहुई 49 किग्रा भारवर्ग में ओलंपिक चैंपियन हैं. उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में 49 किग्रा कैटेगरी में स्वर्ण पदक जीता था.
मीराबाई की चोट का असर कहीं न कहीं उनके खेल पर नजर आ रहा था. इसी वजह से वह केवल मुख्य टूर्नामेंट्स में हिस्सा ले रही हैं. पेरिस ओलिंपिक का टिकट कटाने के लिए यह वर्ल्ड चैंपियनशिप काफी अहम थी. यहां मिले सिल्वर मेडल से मीराबाई को अहम अंक मिले जो आखिरी क्वालिफिकेशन रैंकिंग में काम आएंगे. मीराबाई की नजर अब अगले साल होने वाली 2023 वर्ल्ड चैंपियनशिप और 2024 वर्ल्ड कप पर होगी जहां हिस्सा लेना उनके लिए काफी अहम है.
चोटिल होने के बावजूद रजत जीतीं मीराबाई
राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद अपने पहले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग ले रही चानू का प्रदर्शन स्नैच में काफी निराशाजनक रहा. उन्होंने 84 किग्रा भार उठाने के साथ शुरुआत की लेकिन 87 किग्रा भार उठाने के उनके दूसरे प्रयास को असफल माना गया. इसी वजह से उन्होंने 90 किग्रा भार उठाने की कोशिश नहीं की.
28 साल की मीराबाई चानू अपने अंतिम प्रयास में 87 किलोग्राम भार उठाते समय थोड़ा डगमगाईं, लेकिन अंत में वह सफल रहीं. इस वर्ग में उनका व्यक्तिगत स्कोर इससे एक किलोग्राम ज्यादा है. स्नैच सेक्शन में पांचवें स्थान पर रहने के बाद चानू ने क्लीन एंड जर्क में सबसे ज्यादा वजन तय किया, लेकिन 111 किलोग्राम भार उठाते समय उनकी बाईं कोहनी थोड़ी लड़खड़ा गई और उनके प्रयास को मान्य नहीं किया गया.
भारतीय खेमे ने फैसले को चुनौती दी लेकिन इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ. इस श्रेणी में विश्व रिकॉर्ड अपने नाम रखने वाली चानू ने 111 किग्रा और 113 किग्रा के अपने अंतिम दो प्रयासों में ओवरऑल और क्लीन एंड जर्क सिल्वर हासिल करने में सफलता हासिल की. उन्होंने स्नैच कैटेगरी में सिल्वर भी लिया. यह मीराबाई का दूसरा विश्व चैंपियनशिप पदक है, इससे पहले उन्होंने 2017 में स्वर्ण पदक जीता था.






