
बढ़ते प्रदूषण से निपटने की दिशा में अन्य राज्यों ने भी अपने परिवहन बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों (ई-बस) को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. राजस्थान और उत्तराखंड का परिवहन विभाग इलेक्ट्रिक बसों को लेकर ट्रायल कर रहा है.
प्रतिदिन जयपुर और देहरादून से इलेक्ट्रिक बसें दिल्ली भेजी जा रही हैं, जिसके जरिए देखा जा रहा है कि एक बार बैटरी चार्ज होने पर कितनी दूरी तय करती है और क्या यात्रा समय में कोई अंतर आया है. ट्रायल की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर सामने आया है कि एक बार चार्ज होने पर करीब 200-300 किलोमीटर तक बस जाने में सक्षम है. उस बीच में भी अगर उसे आधे घंटे की फास्ट चार्जिंग मिल जाती है तो बस 350 से 400 किलोमीटर तक जाने में सक्षम है.
बस निर्धारित समय से अपने गंतव्य स्थल पर पहुंच जा रही है. अगर रास्ते में जाम न लगे तो डिपो से बैटरी फुल चार्ज होने के बीच में सिर्फ आधे घंटे की चार्जिंग काफी है, लेकिन जाम लगता है तो उस सूरत में चार्जिंग समय बढ़ाना पड़ता है. दोनों ही राज्य एक निजी कंपनी के साथ मिलकर ट्रायल कर रहे हैं. उत्तराखंड की तरफ से चार इलेक्ट्रिक बसों को लेकर ट्रायल चल रहा है. इसके लिए उत्तराखंड सरकार चार जगहों पर अपने चार्जिंग प्वॉइंट भी बना रही है. अभी रुड़की में ही चार्जिंग की सुविधा शुरू की गई है. बस देहरादून से चार्ज होकर चलती है. फिर बीच में यात्रियों के सूक्ष्म जलपान के लिए रुकती है, जहां पर करीब आधे घंटे चार्ज होती है. उसके बाद सीधे दिल्ली में राजघाट और कश्मीरी गेट डिपो पर चार्ज होती है.
विकसित किए जा रहे चार्जिंग स्टेशन राजस्थान परिवहन निगम भी पहले चरण में तीन बसों पर ट्रायल कर रहा है. बीच में दो जगह चार्जिंग प्वाइंट की सुविधा विकसित की है, जिससे कि रास्ते में कहीं कोई रुकावट पैदा न हो. दिल्ली परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हम उन सभी बस डिपो पर चार्जिंग स्टेशन विकसित कर रहे हैं. जहां पर पड़ोसी राज्यों की बसें आती हैं, जिससे कि उन राज्यों की तरफ से भेजी जाने वाली इलेक्ट्रिक बसों को समय से चार्जिंग प्वॉइंट मिल सके.
डिपो पर तेज चार्जिंग की सुविधा भी मिलेगी
17 डिपो और अंतरराज्यीय बस अड्डों पर जून तक पूरी तरह से चार्जिंग प्वॉइंट काम करेंगे. डिपो में जहां बस खड़ी होंगी, वहीं चार्ज होगी. सामान्य तौर पर दूसरे राज्यों से आने वाली बसें एक से दो घंटे डिपो के अंदर रुकती हैं, उस वक्त उन्हें फास्ट चार्जिंग की सुविधा मिलेगी. इसके बाद जैसे ही जलपान के लिए बस रुकेगी तो वहां भी उन्हें चार्जिंग की सुविधा मिलेगी. इस मामले में राजस्थान और उत्तराखंड काफी तेजी से प्रयास कर रहे हैं. उसके बाद हरियाणा का नंबर आता है. उत्तराखंड और राजस्थान की प्रारंभिक रिपोर्ट काफी सकारात्मक रही है.