
Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है। कड़ाके की ठंड के बावजूद देशभर से लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर डुबकी लगाने पहुंचे हैं। मकर संक्रांति के पावन अवसर पर कुंभ मेले में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। इस भव्य आयोजन में विदेशी भक्त भी भाग ले रहे हैं, जिससे इसकी ख्याति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नजर आ रही है।
भव्यता और आध्यात्मिकता का अद्भुत मेल
कुंभ मेला क्षेत्र भव्य सजावट और दिव्य तैयारियों से सजा हुआ है। हर तरफ धार्मिकता और आध्यात्मिकता का माहौल देखने को मिल रहा है। संगम क्षेत्र को खासतौर पर सजाया गया है, जहां आस्था का अनोखा दृश्य दिखाई दे रहा है। श्रद्धालुओं के मन में उत्साह और चेहरे पर आस्था की अद्भुत झलक देखने को मिल रही है।
मुख्यमंत्री की शुभकामनाएं
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ की शुभकामनाएं देते हुए इसे सनातन संस्कृति और आस्था का प्रतीक बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, “महाकुंभ-2025 में मकर संक्रांति के पावन अवसर पर संगम पर प्रथम अमृत स्नान करने वाले सभी श्रद्धालुओं को बधाई।”
सुविधाओं और सुरक्षा पर खास ध्यान
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मार्ग तय किए गए हैं। प्रशासन ने सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए हैं। जगह-जगह पुलिस बल तैनात है और हर व्यक्ति की सुविधा का ध्यान रखा जा रहा है। आवागमन के लिए विशेष बसें और ट्रेनों का संचालन किया गया है।
अखाड़ों का अमृत स्नान Mahakumbh 2025:
महाकुंभ में महानिर्वाणी पंचायती अखाड़े के साधुओं ने त्रिवेणी संगम पर पहला अमृत स्नान किया। सभी अखाड़ों को स्नान के लिए 40-40 मिनट का समय दिया गया है। साधु-संत अपनी निर्धारित बारी के अनुसार स्नान कर रहे हैं। यह आयोजन सनातन परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है, जहां अखाड़ों की विशेष भूमिका है।
आस्था का महासंगम
मकर संक्रांति के इस पावन पर्व पर लगभग साढ़े नौ घंटे तक अखाड़ों का अमृत स्नान चला। श्रद्धालु और साधु-संत मिलकर महाकुंभ को दिव्य और भव्य बना रहे हैं। संगम तक पहुंचने और स्नान करने में 12 घंटे से अधिक का समय लग रहा है, लेकिन उत्साह और आस्था की कोई कमी नहीं है।
महाकुंभ: संस्कृति और धर्म का प्रतीक
महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत की सनातन संस्कृति और आस्था का जीवंत प्रतीक है। लाखों श्रद्धालु इस आयोजन का हिस्सा बनकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं और इसे ऐतिहासिक बना रहे हैं।