जगन्नाथ रथ यात्रा के बाद भगवान के रथ का क्या किया जाता है?
ओडिशा के पूरी में होने वाला भगवान जगन्नाथ का रथ यात्रा पूरे देश दुनिया में प्रसिद्ध है, इसे देखने लाखो की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
7 जुलाई को शुरू होने वाली रथ यात्रा 16जुलाई को समाप्त होगी।
मान्यता है कि रथ यात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर अपनी मौसी गुंडीचा के यहां जाते हैं, जहां वे 7 दिन आराम कर वापस लौट आते हैं।
भगवान के रथ को बनाने के लिए अक्षय तृतीया के दिन लकड़ी की विशेष पूजा होती है,तत्पश्चात इससे रथ बनाया जाता है।
रथ बनाने में कई महीनो का वक्त लगता है, इसे बनाने में कोई भी मशीन का इस्तेमाल नहीं होता है।
बताया जाता है की रथ यात्रा पूरी हो जाने के बाद रथ के कुछ हिस्सों की नीलामी जगन्नाथ वेबसाइट के जरिए की जाती है,कुछ शर्तो के आधार पर व्यक्ति रथ के हिस्से खरीद सकता है।
नीलामी के पश्चात भी जब रथ के कुछ हिस्से बच जाते हैं तो उसे भगवान का प्रसाद बनाने के लिए रसोई घर में ईंधन के तौर पर उपयोग किया जाता है।