
स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से त्यागपत्र दे दिया है. वह अपने साथ पार्टी नेताओं द्वारा किए जा रहे व्यवहार से खफा हैं. उन्होंने सपा मुखिया अखिलेश यादव को भेजे पत्र में कहा है कि पद के बिना भी पार्टी रह कर उसे सशक्त बनाने के लिए काम करेंगे.
फिलहाल उनकी इस कवायद को पीडीए की रणनीति पर काम कर रही समाजवादी पार्टी पर दबाव बनाने के रूप में देखा जा रहा. वहीं चर्चा यह भी है कि वह एक बार फिर किसी अन्य सियासी दल में स्थान तलाश सकते हैं.
स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बयानों को लेकर आए दिन चर्चाओं में रहते हैं. हाल में सपा नेता मनोज पांडेय ने कहा था कि वह अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं. प्रो. रामगोपाल ने भी इस सवाल पर उनका बचाव नहीं किया. स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसके ठीक एक दिन बाद पद से इस्तीफा दे दिया.
मौर्य ने सपा मुखिया को भेजे इस्तीफे में लिखा है कि हैरानी तो तब हुई वरिष्ठतम नेता चुप रहने के बजाय मेरे बयान को निजी बताकर कार्यकर्ताओं के हौसले को तोड़ने की कोशिश की. मैं नहीं समझ पाया कि एक राष्ट्रीय महासचिव मैं हूं, जिसका कोई बयान निजी हो गया. कुछ राष्ट्रीय महासचिव व नेता ऐसे भी हैं, जिनका हर बयान पार्टी को हो जाता है.