
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं पत्रकार ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान सार्वजनिक बहस के लिए आमंत्रित किया है.
पत्र लिखने वालों में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी. लोकुर, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एपी शाह और वरिष्ठ पत्रकार एन. राम शामिल हैं.
पत्र में कहा गया है कि 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव अपने अंतिम पड़ाव पर है. रैलियों और सार्वजनिक भाषणों के दौरान, सत्ताधारी पार्टी भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस दोनों के सदस्यों ने हमारे अपरिहार्य लोकतंत्र के मूल से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे हैं. इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने आरक्षण, अनुच्छेद-370 और धन पुनर्वितरण पर कांग्रेस को सार्वजनिक रूप से चुनौती दी है. वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने संविधान के संभावित विरूपण, चुनावी बॉन्ड योजना और चीन के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया पर प्रधानमंत्री से सवाल किया है. उन्हें सार्वजनिक बहस की चुनौती भी दी है. दोनों पक्षों ने अपने-अपने घोषणापत्रों के साथ-साथ सामाजिक न्याय की संवैधानिक रूप से संरक्षित योजना पर अपने रुख के बारे में एक-दूसरे से सवाल पूछे हैं.
मोदी और कांग्रेस नेता गांधी को भेजे पत्र में कहा गया है कि ‘देश के नागरिक होने के नाते हम चिंतित हैं कि अभी तक हमने दोनों पक्षों से केवल आरोप और चुनौतियां सुनी हैं. कोई सार्थक प्रतिक्रिया नहीं सुनी है. जैसा कि आप जानते हैं, आज की डिजिटल दुनिया गलत सूचना, गलत बयानी और हेरफेर की प्रवृत्ति रखती है. इन परिस्थितियों में, यह सुनिश्चित करना मौलिक रूप से महत्वपूर्ण है कि जनता को बहस के सभी पहलुओं के बारे में अच्छी तरह से शिक्षित किया जाए, ताकि वे एक निर्णायक विकल्प चुन सकें. ऐसे में हमारा मानना है कि गैर-पक्षपातपूर्ण और गैर-वाणिज्यिक मंच पर खुली बहस के माध्यम से हमारे राजनीतिक नेताओं को सीधे सुनने से नागरिकों को अत्यधिक लाभ होगा. यह बेहतर होगा यदि जनता न सिर्फ प्रत्येक पक्ष को सुने बल्कि उनके जवाब भी सुने.
पूर्व जज बोले, इससे लोकतंत्र की प्रक्रिया मजबूत होगी
पत्र में यह भी कहा गया है कि हमारा मानना है कि इससे हमारी लोकतंत्र प्रक्रिया को काफी मजबूत करने में मदद मिलेगी. यह अधिक प्रासंगिक भी है, क्योंकि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं और पूरी दुनिया हमारे चुनावों पर उत्सुकता से नजर रखती है. पत्र में यह सुझाव दिया गया है कि अगर आप दोनों बहस के लिए उपलब्ध नहीं हैं तो आप किसी अन्य को खुली बहस के लिए नामित कर सकते हैं.