
दिल्ली का चुनावी परिदृश्य: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बार मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है, जिसमें आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) शामिल हैं। इस बीच, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने AAP के नेता अरविंद केजरीवाल का समर्थन करने का संकेत दिया है, जिससे राजनीतिक समीकरण और अधिक पेचीदा हो गए हैं।
पवार का बयान:
शरद पवार ने मीडिया से बातचीत में कहा, “दिल्ली की जनता ने केजरीवाल की पार्टी को लगातार दो बार बहुमत दिया है। इसलिए अच्छा होगा कि हम उन्हें विश्वास में लेकर कुछ करें।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि INDIA गठबंधन केवल राष्ट्रीय चुनावों के लिए बनाया गया था, और स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी।
कांग्रेस का संकट:
पवार के इस बयान के पीछे का कारण यह है कि कांग्रेस, जो पहले से ही चुनावी लड़ाई में कठिनाइयों का सामना कर रही है, अब अपने सहयोगियों की कमी के चलते और भी कमजोर हो सकती है। वहीं, पवार का केजरीवाल के प्रति समर्थन कांग्रेस की स्थिति को और चुनौती दे सकता है, खासकर जब उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी स्थानीय निकाय चुनावों में अकेले जाने की योजना बनाई है।
क्या कंफ्यूज हैं पवार?
पवार का दोहरा रुख एक तरह से राजनीतिक स्थिति की जटिलता को दर्शाता है। जहां वे दिल्ली में केजरीवाल का समर्थन कर रहे हैं, वहीं महाराष्ट्र में स्थानीय चुनावों की संभावनाओं को लेकर अभी भी ठोस निर्णय लेने में हिचकिचा रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए सवाल उठता है कि क्या पवार खुद भी इस मुद्दे पर स्पष्ट हैं या फिर वे राजनीतिक अवसरों की तलाश में हैं।
शरद पवार का चुनावी समर्थन AAP के लिए एक बड़ा बढ़ावा हो सकता है, लेकिन यह कांग्रेस के लिए एक सिरदर्द भी बन सकता है। आगामी चुनावों में पवार की रणनीति और उनके सहयोगियों के साथ संबंधों की गतिशीलता दिल्ली और महाराष्ट्र दोनों ही चुनावों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है। इस प्रकार, राजनीतिक समीकरण को समझने के लिए मौजूदा परिस्थितियों का बारीकी से अध्ययन आवश्यक है।