
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों के करीब आने के साथ भाजपा के भीतर बैचेनी बढ़ रही है.
राज्य में कुछ सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित होने के बाद बाकी सीटों के लिए नेताओं की उम्मीदें और प्रयास भी बढ़े हैं, लेकिन मामला केंद्रीय नेतृत्व के हाथ में होने से प्रदेश के प्रमुख नेता भी किसी को आश्वस्त नहीं कर पा रहे है. ऐसे में कुछ नेताओं ने पार्टी भी छोड़ी है और कुछ दूसरे विकल्पों की तरफ भी देख रहे हैं. मध्य प्रदेश में भाजपा ने सबसे पहले उम्मीदवार घोषित करना तो शुरू कर दिए हैं, लेकिन इससे चुनाव अभियान को गति मिलने के साथ अंदरूनी दिक्कतें भी बढ़ी है. बाकी बची सीटों को लेकर कयासबाजी शुरू होने के साथ दावेदारों में असमंजस भी बढ़ा है. इसमें मौजूदा विधायक भी शामिल हैं. दरअसल टिकटों का काम केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सीधा संभाल लेने से राज्य के प्रमुख नेताओं ने भी हाथ खड़े करना शुरू कर दिए हैं.
आम तौर पर उम्मीदवार तय करने के लिए पहले राज्य की चुनाव समिति में चर्चा होती है और फिर केंदीय चुनाव समिति फैसला करती है, लेकिन इस बार मध्य प्रदेश के लिए 39 उम्मीदवारों की जो सूची आई है, उसके लिए राज्य चुनाव समिति की बैठक ही नहीं हुई. राज्य के प्रमुख नेताओं से चर्चा के बाद केंद्रीय चुनाव समिति ने पहली सूची जारी कर दी है. इसके बाद यह असमंजस भी है कि राज्य चुनाव समिति बनेगी भी या नहीं.
सूत्रों के अनुसार, राज्य के प्रमुख नेताओं ने भी दावेदारों से साफ कर दिया है कि बहुत सारी चीजें केंद्रीय नेतृत्व के स्तर पर तय हो रही है. ऐसे में प्रदेश के तमाम नेता राज्य के लिए तय केंद्रीय चुनाव प्रभारियों तक पहुंच बनाने में जुटे हैं. हालांकि वहां से कोई सीधा जबाब या आश्वासन नहीं मिल रहा है. उहापोह में राज्य में पहले से चल रही अंदरूनी गुटबाजी भी उभर आई है. ऐसे में कई बड़े नेताओं ने अपनी नाराजगी भी जतानी शुरू कर दी है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कैलाश जोशी के बेटे पूर्व मंत्री दीपक जोशी पहले ही कांग्रेस में जा चुके थे.
वरिष्ठ नेता भंवर सिंह शेखावत व विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया है. पूर्व मंत्री नारायण कुशवाह व अनूप मिश्रा उहापोह की स्थिति में हैं. अन्य कई नेता भी अगली सूची का इंतजार कर रहे हैं. अक्सर विवादों में रहने वाले नारायण त्रिपाठी के सीएम शिवराज सिंह चौहान व कांग्रेस नेता कमलनाथ का एक साथ एक ही पोस्टर में आभार जताने का मामला भी चर्चा में है. राज्य में हो रही भाजपा की जन आशीर्वाद यात्राओं को लेकर भी नाराजगी सामने आई है. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती व पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी अपनी उपेक्षा पर नाराजगी जताई है.






