
विदेश मंत्री एस जयशंकर जो संयुक्त राज्य अमेरिका में हैं, ने सोमवार को कश्मीर में अनुच्छेद 370(article 370) को खत्म करने के मुद्दे पर बात की, साथ ही उन्होंने कानून और व्यवस्था की स्थिति में इंटरनेट सेवाओं को बंद करने की आलोचना करने वालों की आलोचना की। इंटरनेट काटे जाने के बारे में बड़ा गीत और नृत्य यदि आप एक ऐसे मंच पर पहुंच गए हैं जहां आप कहते हैं कि इंटरनेट कट मानव जीवन के नुकसान से अधिक खतरनाक है, तो मैं क्या कह सकता हूं.
अस्थायी प्रावधान खत्म कर दिया गयाअनुच्छेद 370 पर, उन्होंने कहा कि संविधान का जो अस्थायी प्रावधान था, उसे आखिरकार खत्म कर दिया गया। यह बहुसंख्यकवाद का कार्य माना जाता था। अब बताओ कश्मीर में क्या हो रहा था, क्या यह बहुसंख्यकवाद नहीं था? मुझे लगता है कि जिस तरह से तथ्यों को झुकाया जाता है। क्या सही है और क्या गलत है, इस पर बहस होती है। यह वास्तव में काम पर राजनीति है.
कश्मीर मुद्दे को अमेरिकी राजधानी वाशिंगटन डीसी में गलत तरीके से पेश किए जाने के सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि अगर कोई आतंकवादी घटना होती है तो यह मायने नहीं रखता कि किस धर्म के व्यक्ति की जान गई. उन्होंने कहा, “चाहे भारतीय सैनिक या भारतीय पुलिस कर्मियों का अपहरण किया जाए, चाहे सरकारी कर्मचारियों या अपने काम पर जा रहे आम नागरिकों की जान जाए? आपने कब लोगों को इस बारे में बात करते, निंदा करते सुना है… बल्कि मीडिया की खबरों को देखिए. मीडिया में क्या दिखाया जाता है और क्या नहीं दिखाया जाता?”
वाशिंगटन पोस्ट वाशिंगटन डीसी में प्रकाशित होने वाला अमेरिका राष्ट्रीय डेली पेपर है और इसके मालिक अमेजन के जेफ बेजोस हैं. जयशंकर ने भारत विरोधी ताकतों के मजबूत होने से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा, “मेरा यह कहना है कि कुछ लोग पूर्वाग्रही हैं… वे कोशिश करते हैं फैसले तय करने की… और जैसे-जैसे भारत अपने फैसले खुद करना शुरू करेगा, इस तरह के लोग जो अपने को संरक्षक की भूमिका में देखते हैं उनके विचार बाहर आएंगे.” उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे समूहों कि “भारत में जीत नहीं हो रही है.” जयशंकर अमेरिका में लगातार बैठक कर रहे हैं. उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के साथ अपनी बैठक की फोटे ट्विटर पर साझा किए. उन्होंने रक्षा मंत्री के साथ मुलाकात को सुखद बताया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, “रक्षा और सुरक्षा सहयोग वर्तमान में भारत और अमेरिका साझेदारी का एक अहम स्तंभ है. हमने नीति आदान-प्रदान पारस्परिकता रक्षा व्यापार, सेवा अभ्यास और सैन्य-औद्योगिक सहयोग में निरंतर प्रगति हासिल की है.”






