
राज्यसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के तीन उम्मीदवारों यूपी के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन, चार बार की राज्यसभा सदस्य जया बच्चन और पूर्व सांसद व दलित नेता रामजी लाल सुमन ने विधान भवन के सेंट्रल हाल में मंगलवार को नामांकन किया.
सपा मुखिया अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की मौजूदगी में इन तीनों उम्मीदवारों ने दो-दो सेटों में नामांकन पत्र दाखिल किए. सपा ने पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) फार्मूले को ध्यान में रखते हुए राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है. तीनों के निर्वाचित हो जाने के बाद राज्यसभा में सपा के पांच सदस्य हो जाएंगे. एक पिछड़ा (राम गोपाल यादव), एक मुस्लिम (जावेद अली खान), एक महिला (जया बच्चन), एक अगड़ी जाति (आलोक रंजन) और एक दलित (रामजी लाल सुमन).
अखिलेश ने विधायक सदस्य संख्या को ध्यान में रखते हुए तीन उम्मीदवार उतारे हैं. राज्यसभा चुनाव में एक सीट जीतने को 37 वोट की जरूरत बताई जा रही है. सपा के 108, कांग्रेस के दो विधायक हैं. इस तरह देखें तो सपा तीनों उम्मीदवारों को जिता सकती है.
सपा प्रत्याशियों को वोट नहीं देंगी पल्लवी
राज्यसभा की रिक्त 10 सीटों के चुनाव में मतदान से पूर्व सपा को एक और बड़ा झटका लगा है. सिराथू से सपा की विधायक अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल ने सपा प्रत्याशियों के पक्ष में वोट करने से इंकार कर दिया है.
समाजवादी परिवार से जया बच्चन का पुराना नाता
जया बच्चन अभिनेत्री हैं व सिनेस्टार अमिताभ बच्चन की पत्नी हैं. जया बच्चन का समाजवादी परिवार से पुराना नाता है. सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने अमिताभ बच्चन परिवार को अपने साथ जोड़ा था. मुलायम सरकार ने इनके परिवार को कई पुरस्कार दिए जा चुके हैं. जया 75 वर्ष की उम्र में पांचवीं बार राज्यसभा के लिए भेजी जा रही हैं. पांचवां कार्यकाल पाने वाली वह सपा में दूसरी हैं. सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव अपना पांचवां कार्यकाल पूरा कर रहे हैं.
रामजी लाल चार बार लोकसभा सदस्य रहे
रामजी लाल सुमन 73 वर्षीय दलित नेता हैं और फिरोजाबाद से चार बार लोकसभा सदस्य रहे. वह 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में हाथरस से सपा के उम्मीदवार भी रहे हैं, पर जीत नहीं पाए. वह सपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं और जनता दल के दिनों से मुलायम सिंह यादव के साथ रहे हैं. 1977 में पहली बार फिरोजाबाद सीट जीती, तब वह 27 साल के थे. इसके बाद उन्होंने 1989 में जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में, फिर 1999 और 2004 में सपा के उम्मीदवार के रूप में जीते.
पूर्व नौकरशाह हैं आलोक रंजन
आलोक रंजन एक पूर्व नौकरशाह हैं. अखिलेश सरकार में वह 2014 से 2016 तक मुख्य सचिव रहे. आलोक रंजन वर्ष 1978 बैच के यूपी कॉडर के आईएएस अधिकारी हैं. सेंट स्टीफंस कॉलेज दिल्ली के पूर्व छात्र हैं और आईआईएम, अहमदाबाद से एमबीए किया है. वह एक लेखक और विचार-नेता व वक्ता भी हैं. अखिलेश ने सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें सीएम का सलाहकार व औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष बनाया था. वह 2017 से सपा से जुड़े हैं और पार्टी के थिंक टैंक में हैं. आलोक रंजन ने मुख्य सचिव के रूप में लखनऊ मेट्रो, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे आदि जैसी बड़ी परियोजनाओं में अहम भूमिका निभाई थी.