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न्याय यात्रा को सफल बनाना चुनौती

भारत जोड़ो न्याय यात्रा मणिपुर और नगालैंड से गुजरते हुए असम में दाखिल हो चुकी है. इन चार दिनों में न्याय यात्रा ने करीब 360 किलोमीटर का सफर तय किया है. इस रफ्तार के बावजूद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लोगों से सीधा संपर्क बनाने और उनकी समस्याओं को सुनने की कोशिश कर रहे हैं. पर पार्टी के लिए इस यात्रा को पहले की भारत जोड़ो यात्रा की तरह सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाना आसान नहीं है. क्योंकि, दोनों यात्राओं में फर्क हैं.

एक दिन में दो जनसभाएं नई यात्रा की रफ्तार पुरानी से करीब चार गुना तेज है. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी दो पालियों में प्रतिदिन सिर्फ 23 किलोमीटर चलते थे, जबकि न्याय यात्रा प्रतिदिन औसतन सौ किलोमीटर की दूरी तय करती है. यात्रा में राहुल गांधी अपनी विशेष बस ‘मोहब्बत की दुकान’ से जनसभाओं को भी संबोधित कर रहे हैं, पर पुरानी यात्रा में लोगों तक पहुंच ज्यादा थी. इसका अहसास खुद राहुल गांधी को भी है.

बकौल राहुल, हमारी कोशिश होगी कि जहां भी पैदल चल सकें, वहां ज्यादा से ज्यादा पैदल चलें.

कठिन यात्रा किसी राज्य में कांग्रेस की सत्ता नहीं

कांग्रेस इसे वैचारिक यात्रा करार दे रही है, पर यात्रा का मार्ग लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. जिन 15 राज्यों से यात्रा गुजर रही है, उनमें लोकसभा की 355 सीट हैं. वर्ष 2019 के चुनाव में पार्टी को इनमें से सिर्फ 14 सीट मिली थीं. ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा के मुकाबले यह यात्रा काफी कठिन है. क्योंकि, पूरे मार्ग में किसी भी राज्य में कांग्रेस अपने दम पर सत्ता में नहीं है. जबकि पहली यात्रा के मार्ग में राजस्थान और हिमाचल में सरकार थी.

लोगों की हिस्सेदारी

पार्टी के एक नेता ने कहा कि पहली यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में लोगों की हिस्सेदारी ने यात्रा को बुलंदियां दी थी. यह यात्रा हाइब्रिड है, इसके बावजूद हम कोशिश करेंगे कि राहुल गांधी जितनी देर भी पदयात्रा करें, ज्यादा से ज्यादा लोग उनके साथ चलें.

न्याय यात्रा पर केस जोरहाट में तय मार्ग से कथित तौर पर भटकने के लिए भारत जोड़ो न्याय यात्रा एवं इसके मुख्य आयोजक केबी बायजू के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई.

न्याय यात्रा उत्तर प्रदेश में 11 दिन, मध्य प्रदेश में सात दिन, राजस्थान में एक दिन और महाराष्ट्र में पांच दिन का सफर तय करेगी. इससे पहले कन्याकुमारी

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