नई दिल्ली. भाजपा के विस्तार के साथ दूसरे दलों से बड़ी संख्या में आ रहे नेताओं और उन्हें मिल रही तवज्जो से खांटी भाजपा नेताओं और काडर में बैचेनी देखी जा रही है. खासकर लोकसभा चुनावों में टिकटों को लेकर.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के चलते भाजपा टिकट को जीत की गारंटी माना जा रहा है. ऐसे में दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट मिलने से टिकट मिलने की उम्मीद लगाए पार्टी काडर मायूस हैं. भाजपा ने दर्जनों ऐसे नेताओं को टिकट दिए हैं, जो हाल में दूसरे दलों से भाजपा में आए हैं. हाल में भाजपा में शामिल होने के बाद लोकसभा टिकट पाने वाले प्रमुख लोगों में नवीन जिंदल, अशोक तंवर, नवनीत राणा, सीता सोरेन, गीता कोड़ा, रंजीत चौटाला, रितेश पांडे, सीएन मंजूनाथ, वीवी पाटिल, महारानी कृतिसिंह देबबर्मा, कलाबेन देलकर, अर्जुन सिंह शामिल हैं. इनके अलावा अभी जिन और नेताओं को टिकट मिलने की संभावना है उनमें परनीति कौर, रवनीति सिंह बिट्टू, सुशील कुमार रिंकू, भर्तृहरि महताब के नाम शामिल हैं.
कुछ समय पहले जो नेता भाजपा में शामिल हुए थे और लोकसभा टिकट पाने में सफल रहे हैं उनमें अनिल के एंटनी, ज्योति मिर्धा, कृपाशंकर सिंह, एन किरण कुमार रेड्डी जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं.
झारखंड में 13 सीटों पर लड़ रही भाजपा झारखंड में भाजपा 14 में से 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. गिरडीह सीट सहयोगी आजसू को दी है. जिन 13 सीटों पर भाजपा चुनाव लड़ रही है उनमें से दस सीटों पर ऐसे उम्मीदवार हैं, जो दूसरे दलों से आए हैं. लोकसभा चुनाव लड़ रहे नेताओं में विद्युत वरण महतो 2014 में भाजपा में आ गए थे. ढुल्लू महतो, मनीष जायसवाल, कालीचरण सिंह, संजय सेठ भी भाविमो में रह चुके हैं. ताला मरांडी भाजपा से आजसू में चले गए थे और 2022 में वापस आए.
गीता कोड़ा तो हाल में कांग्रेस से भाजपा में आई हैं. इसी तरह झामुमो से हाल में आई सीता सोरेन भी इनमें शामिल हैं. अन्नपूर्णा देवी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राजद से भाजपा में आई थीं.
टिकट न मिलने से हताश
कई राज्यों में कई नेता दूसरे दलों से आए और टिकट पा गए हैं. ऐसे में जनसंघ, जनता पार्टी और भाजपा के सफर में लगातार जुड़े रहे कई नेता खुद को टिकट न मिलने से हताश हैं. हालांकि, भाजपा नेताओं का कहना है कि पार्टी का विस्तार देश के हर कोने में हो चुका है और इसमें भारी संख्या में नए लोग जुड़ रहे हैं. जो भाजपा में आ जाता है, वह बाहरी नहीं कहा जा सकता. सबको समायोजित करना होता है और चुनावी समीकरणों में जीत मुख्य लक्ष्य होती है.