तीन विधेयकों पर विपक्ष की असहमति

नई दिल्ली . संसद की गृह मामलों से संबंधित स्थायी समिति में शामिल विपक्षी सांसदों ने प्रमुख आपराधिक कानूनों के स्थानों पर लाए गए तीन विधेयकों पर असहमति नोट दिया. विपक्षी दलों का कहना है कि प्रस्तावित कानून काफी हद तक एक जैसा है. विपक्षी दलों ने कहा कि ये प्रस्तावित कानून वर्तमान कानूनों का काफी हद तक कॉपी-पेस्ट है.
गैर-हिंदीभाषी लोगों का अपमान पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 348 के तहत सभी अधिनियम अंग्रेजी भाषा में होंगे जो सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की भी भाषा है. उन्होंने अपने असहमति नोट में लिखा कि विधेयक की भाषा चाहे जो भी हो, विधेयक का नाम केवल हिंदी में रखना बेहद आपत्तिजनक, असंवैधानिक, गैर-हिंदी भाषी लोगों (जैसे तमिल, गुजराती) का अपमान और संघवाद का विरोध है.
केवल पुनर्व्यवस्थित किया गया लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने अपने असहमति नोट में कहा कि कानून काफी हद तक एक जैसा है. इसमें केवल पुनर्व्यवस्थित किया गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि समिति के अध्यक्ष रिपोर्ट सौंपने में बहुत जल्दबाजी में थे.
93 हिस्से में कोई बदलाव नहीं तृणमूल कांग्रेस के सांसद ओ ब्रायन ने कहा कि तथ्य यह है कि मौजूदा आपराधिक कानून के लगभग 93 प्रतिशत हिस्से में कोई बदलाव नहीं किया गया है, 22 अध्यायों में से 18 को कॉपी- पेस्ट किया गया है, जिसका मतलब है कि इन प्रमुख बदलावों के लिए पहले से मौजूद कानून को आसानी से संशोधित किया जा सकता था.
संघीय रिश्ते तथा ढांचे को बदल देंगे द्रमुक के दयानिधि मारन ने दावा किया कि ये विधेयक केंद्र एवं राज्यों के बीच के संघीय रिश्ते तथा ढांचे को आगे और बदल देंगे.
इन्होंने दिए असहमति नोट
समिति में शामिल कम से कम आठ विपक्षी सदस्यों अधीर रंजन चौधरी, रवनीत सिंह बिट्टू, पी. चिदंबरम, डेरेक ओ ब्रायन, काकोली घोष दस्तीदार, दयानिधि मारन, दिग्विजय सिंह और एन. आर. एलांगो ने विधेयकों के कई प्रावधानों का विरोध करते हुए अलग अलग असहमति नोट दिए हैं. तीनों विधेयक भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर लाए गए हैं.