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महिलाओं के मतदान से दलों को उम्मीद

मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में मतदान के प्रतिशत को लेकर सीटों का गुणा-भाग किया जा रहा है. ज्यादा मतदान और कम मतदान को लेकर कोई एक राय नहीं बनाई जा सकती है.

मध्य प्रदेश में इस बार पिछली बार से आधा फीसद से कुछ ज्यादा मतदान हुआ है. छत्तीसगढ़ में 1.8 फीसद कम. एक में भाजपा और दूसरे में कांग्रेस सत्ता में है. हालांकि, पिछले आंकड़ों में भारी मतदान और कम मतदान दोनों स्थितियों में अलग-अलग तरह के नतीजे आए थे. दोनों दलों के अपने-अपने अनुमान हैं, लेकिन सबकी नजर महिला मतदाताओं पर ज्यादा है. दोनों दलों ने दोनों राज्यों में महिलाओं को लुभाने की कोर कसर नहीं छोड़ी थी.

बड़ा मुद्दा या बड़ी लहर न होने पर ज्यादा मतदान सत्ता पक्ष को लाभ देता है. वहीं, बदलाव की लहर होने पर कम मतदान भी सत्ता बदल देता है. मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में इस बार कोई बड़ा मुद्दा व लहर नहीं दिखी. ऐसे में वादों, घोषणाओं और उपलब्धियों से लोगों को लुभाने की जमकर कोशिश की गई.

चार फीसदी से ज्यादा मतदान अहम मध्य प्रदेश में 1990 के बाद बीते तीन दशक मे देखा जाए तो हर चुनाव में मत प्रतिशत बढ़ा है. लेकिन, जब चार फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई तो सरकारें पलट गईं. 1990 में ही 4.42 फीसदी ज्यादा मतदान होने पर कांग्रेस को भाजपा के हाथों सत्ता गंवानी पड़ी थी. इसके बाद 1993 में 5.96 फीसदी ज्यादा मतदान होने पर सत्ता भाजपा के कांग्रेस के पास चली गई. 2003 में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी 7.04 फीसद की हुई. भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली.

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