नई दिल्ली। राजनीति में कालेधन को रोकने के लिए चुनाव आयोग (Election Commission) बड़ा कदम उठाने जा रहा है. मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने कानून मंत्रालय को एक पत्र लिखकर राजनीतिक दलों को नकद चंदे पर रोक के लिए प्रस्ताव पेश किया है. इसमें मांग की गई है कि नकद चंदे को 20 प्रतिशत या अधिकतम 20 करोड़ रुपये तक सीमित किया जाए. चुनाव आयोग ने पत्र में यह भी कहा कि है कि राजनीतिक दलों को 2 हजार रुपये से कम की नकद राशि की रिपोर्ट करने की जरूरत नहीं होगी. वर्तमान में राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपये से ज्यादा के सभी चंदे का खुलासा एक योगदान रिपोर्ट के माध्यम से करना जरूरी है.
कई राजनीतिक दलों पर हुई थी कार्रवाई
बता दें कि पिछले दिनों सैकड़ों गैर मान्यताप्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों पर इनकम टैक्स की छापेमारी की गई थी. उन दलों पर आरोप है कि वो पार्टी की आड़ में ब्लैक को ना सिर्फ व्हाइट करने के खेल में शामिल थे. चुनाव आयोग ने कई राजनीतिक दलों को बैन भी कर दिया है. वहीं कई की मान्यता रद्द हो गई है. आयोग ने पाया कि जहां कुछ पार्टियों ने कोई चंदा नहीं दिया. उनके अकाउंट ऑडिट में बड़ी मात्रा में प्राप्तियां दिखाई गईं जिससे यह साबित होता है कि बड़े पैमाने पर नकद में लेन-देन 20 हजार रुपये की सीमा से कम है। चुनाव लड़ने वाले व्यक्तिगत उम्मीदवारों के खर्च में पारदर्शिता लाने और इस खर्च में “बदलाव” को दूर करने के लिए, आयोग ने जोर दिया है.
क्या कहता है मौजूद नियम?
मौजूदा नियमों के अनुसार, राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपये से ऊपर वाले सभी चंदों का खुलासा करना होता है और आयोग के समक्ष इस बारे में रिपोर्ट देनी होती है. सूत्रों ने कहा कि अगर आयोग के इस प्रस्ताव को विधि मंत्रालय की स्वीकृति मिल जाती है तो 2000 रुपये से अधिक सभी चंदों के बारे में राजनीतिक दलों को जानकारी देनी होगी जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी. आयोग ने यह सिफारिश भी की है कि किसी भी राजनीतिक दल को मिले कुल चंदे में नकद अधिकतम 20 प्रतिशत या 20 करोड़ रुपये होना चाहिए. निर्वाचन आयोग यह भी चाहता है कि चुनावों के दौरान उम्मीदवार चुनाव के लिए अलग से बैंक खात खोलें और सारा लेनदेन इसी खाते से हो और चुनावी खर्च के ब्यौरे में इसकी जानकारी भी दी जाए.