एक बड़े घटनाक्रम में, बच्चों और महिलाओं के यौन उत्पीड़न समेत गंभीर अपराधों के आरोपी अपराधियों को अब उत्तर प्रदेश की अदालतों से अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस संबंध में यूपी विधानसभा में मौजूदा विधेयक में संशोधन पेश किया है महिला व बाल अपराध की घटनाओं को लेकर उत्तर प्रदेश की सिसायत हमेशा गरमाती रही है लखीमपुर खीरी में दो सगी बहनों की हत्या के बाद भी विपक्ष ने राज्य सरकार को घेरा था ऐसे में योगी आदित्यनाथ सरकार ने दुष्कर्म व बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में आरोपितों की अग्रिम जमानत पर रोक का कानून लाने की पहल की है
एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय के अनुसार वर्तमान में उन मामलों में अग्रिम जमानत पर रोक है, जिनमें फांसी की सजा है विधेयक के तहत अग्रिम जमानत के उपबंध के संबंध में दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 438 को संशोधित किया जाना प्रस्तावित है माना जा रहा है कि शुक्रवार को विधानसभा में विधेयक पारित हो जाएगा साथ ही इसे विधान परिषद में भी पेश किया जाएगा
CRPC की धारा-438 में संशोधन करना है
प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, यौन उत्पीड़न से संबंधित अपराधों के अलावा, गैंगस्टर एक्ट, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट, ऑफिशियल सीकेट्र्स एक्ट और मृत्युदंड का प्रावधान रखने वाले अभियुक्तों को अदालतों से अंतरिम राहत के रूप में अग्रिम जमानत नहीं लेने देंगे
प्रस्ताव के अनुसार, इस संशोधन का उद्देश्य अग्रिम जमानत के प्रावधान के संबंध में सीआरपीसी की धारा 438 में संशोधन करना है ताकि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न से संबंधित अपराध करने वालों को अग्रिम जमानत मिलने से रोका जा सके
अपराध के विपरीत ‘जीरो सेंसिंग’ की नीति
अपराध के मामले में गलत तरीके से अपराध के मामले में ‘जीरो सेंसिंग’ अपराध के मामले में, खराब होने से रोकने और अपराध करने से रोकने के लिए सबूत हैं के लिए संशोधन की धारा 438 में संशोधित की गई है पुन: संशोधित किया गया है, जैसा कि संशोधित किया गया है