कांग्रेस ढाई दशकों के बाद इतिहास दोहराने की ओर है गांधी परिवार के हाथ से एक बार फिर से अध्यक्ष का पद फैमिली से बाहर के किसी नेता पर जा सकता है अशोक गहलोत, शशि थरूर जैसे नेता अध्यक्ष पद के चुनाव में उतरने वाले हैं गांधी परिवार इस तरह अध्यक्ष पद से बेदखल हो जाएगा पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि इसके जरिए कांग्रेस पर लगे फैमिली के टैग को हटाने में मदद मिलेगी इसके अलावा सामाजिक समीकरण भी पार्टी साध पाएगी यही नहीं गांधी परिवार के लिए भी यह रोल अच्छा रहेगा क्योंकि उसके खाते में कोई बुराई नहीं आएगी और वह पीछे से पूरी पार्टी को मैनेज भी कर सकेगा
पार्टी के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि गैर-गांधी अध्यक्ष आने के बाद सत्ता के दो केंद्र होने का संकट भी आ सकता है, जैसा यूपीए सरकार के दौर में देखने को मिला था भले ही नया अध्यक्ष परिवार से बाहर का होगा, लेकिन सैकड़ों नेताओं की आस्था गांधी फैमिली में ही है उनके लिए नए नेता को स्वीकार करना मुश्किल होगा और ऐसी स्थिति में वे गांधी परिवार के पीछे ही लग सकते हैं इससे सत्ता के दो केंद्र बनेंगे और मतभेद भी उभर सकते हैं यह स्थिति उस कांग्रेस के लिए चिंताजनक होगी, जो 2014 के बाद से लगातार मुश्किल दौर में है और चुनावी हारों का सामना कर रही है
अशोक गहलोत ने आगे कहा कि तारीख तो मैं अभी जाकर पक्की करूंगा गहलोत ने कहा कि ये तय है कि मैं चुनाव लड़ूंगा (कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए) जो हालात देश के हैं उसके लिए प्रतिपक्ष का मज़बूत होना बहुत जरूरी है और उसके लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे कांग्रेस के नेतृत्व के संदर्भ में राहुल गांधी के ‘एक व्यक्ति, एक पद’ वाले बयान और चुनाव जीतने की सूरत में मुख्यमंत्री के रूप में उनके संभावित उत्तराधिकारी के बारे में पूछे जाने पर गहलोत ने कहा कि मौजूदा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राजस्थान में पार्टी मामलों के प्रभारी अजय माकन इस संबंध में फैसला लेंगे