
नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में शाही ईदगाह समिति से सवाल किया कि क्या यह बेहतर नहीं होगा कि निचली अदालत के बजाय उच्च न्यायालय ही मामले की सुनवाई कर फैसला करे.
शीर्ष न्यायालय ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि मामले का लंबा खिंचना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से इस मामले में दाखिल उस याचिका से जुड़ी सभी जानकारी पेश करने को कहा है, जिसमें निचली अदालत से मामले को उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी. पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 26 मई को पारित आदेश को चुनौती देने वाली याचिका सुनवाई कर रही है.
उच्च न्यायालय ने मथुरा की निचली अदालत में लंबित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित सभी मामले को अपने पास स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था. इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है.
एएसआई को निर्देश
सील क्षेत्रों को छोड़कर वैज्ञानिक जांच, सर्वेक्षण व खुदाई करें, पश्चिमी दीवार की उम्र,निर्माण की प्रकृति की जांच करें
जीपीआर सर्वेक्षण, डेटिंग पद्धति समेत अन्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए विस्तृत वैज्ञानिक जांच करें ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पूर्व में मौजूद संरचना के ऊपर किया गया है.
अब तक का तीसरा आदेश
ज्ञानवापी परिसर सर्वे के संबंध में शुक्रवार को तीसरा आदेश आया है. 2021 में अदालत ने आदिविश्वेश्वर प्रकरण में सर्वेक्षण का आदेश दिया था. पिछले वर्ष वुजूखाने में मिली शिवलिंग जैसी आकृति की कार्बन डेटिंग कराने संबंधी अर्जी अदालत ने खारिज कर दी थी. अब उसी कोर्ट से एएसआई सर्वे का आदेश आया है.