नई दिल्ली. केंद्र ने भारतीय रेल में सुधार के तहत तृतीय श्रेणी (ग्रुप-सी) के कर्मचारियों की पदोन्नति प्रक्रिया में पूरी तरह से बदलाव करने का फैसला किया है. इसमें रेल कर्मियों को ग्रुप-बी अफसर बनने के लिए एकीकृत कंप्यूटर आधारित ऑब्जेक्टिव टाइप परीक्षा (सीबीटी) व्यवस्था लागू की जाएगी. इसके अलावा देशभर में रेलवे के ग्रुप-सी के सभी कैडर के कर्मचारियों की एक साथ परीक्षा आयोजित की जाएगी.
रेलवे का दावा है कि उक्त पदोन्नति प्रक्रिया के पारदर्शी बनने से भारतीय रेल के लगभग 10 लाख ग्रुप-सी कर्मियों को लाभ मिलेगा. इससे योग्य व सक्षम कर्मियों को रेलवे प्रमोटी अफसर बनने का मार्ग प्रशस्त होगा. वर्तमान में 17 जोनल रेलवे अपनी मर्जी के मुताबिक ग्रुप-बी की परीक्षाएं व चयन करते रहे हैं. इसमें भाई-भतीजावाद के आरोप लगते रहे हैं.
रेलवे बोर्ड ने 28 जून को सभी जोनल रेलवे महाप्रबंधकों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं. इसमें उल्लेख है कि ग्रुप-सी के कर्मियों की पदोन्नति के लिए 1 जनवरी 2023 से एकीकृत सीबीटी व्यवस्था लागू होगी. भारतीय रेल के नेशनल अकादमी ऑफ इंडियन रेलवे (नायर) के डीजी देशभर में एक साथ ऑब्जेक्टिव (वस्तुनिष्ठ) प्रश्न आधारित परीक्षा का आयोजन कराएंगे. इसमें रेलवे के मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, सिविल, सिग्नल, टेलीकॉम, ट्रैफिक आदि कैडर के ग्रुप-सी कर्मचारियों के लिए एक साथ परीक्षा आयोजित कराई जाएगी. इसमें तीन घंटे की परीक्षा में 150 नंबरों के लिए 150 ऑब्जेक्टिव प्रश्नों का जवाब देना होगा.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे ग्रुप-सी में तीन साल नौकरी के बाद कर्मचारी कंप्यूटर आधारित टेस्ट के लिए आवेदन कर सकता है. ग्रुप-बी में कुल रिक्त पदों को 30 फीसदी इनके लिए आरक्षित होंगे. जबकि 70 फीसदी ग्रुप-बी के पदों के लिए वरिष्ठता के आधार पर परीक्षा के लिए योग्य माना जाएगा. बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे और उत्पादन इकाइयों, कारखानों से ग्रुप-बी के रिक्त पदों की जानकारी 11 जुलाई से ‘नायर’ के पास भेजने के निर्देश दिए हैं. रेलवे प्रमोटी अफसर एसोएशिन के अधिकारी बोर्ड के इस फैसले से खुश हैं. उनका तर्क है कि ग्रुप-सी कर्मचारी पारदर्शी तरीके से ग्रुप-बी अफसर बन सकेंगे.