नई दिल्ली। देश में महंगाई एक बड़ा मुद्दा है. जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती है, वैसे-वैसे आम लोगों की जेब पर इसका असर पड़ता है. इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि देश में महंगाई ऊंची बनी हुई है. इसको देखते हुए मौद्रिक नीति के लिए महंगाई में वृद्धि को लेकर आशंकाओं को मजबूती से थामने की जरूरत है. खुदरा मुद्रास्फीति में तीन महीने से जारी गिरावट अगस्त महीने में थम गई और मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के महंगा होने से यह बढ़कर सात प्रतिशत तक पहुंच गयी.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति लगातार आठवें महीने रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा के नेतृत्व वाली एक टीम के लिखे लेख में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार कम होने से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, जो फिलहाल ऊंची बनी हुई है.
आर्थिक वृद्धि का समर्थन
लेख में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान आर्थिक वृद्धि के स्तर पर जो हल्की नरमी आई है, भारतीय अर्थव्यवस्था उससे बाहर निकलने की ओर बढ़ रही है. लेख के अनुसार, कुल मांग मजबूत बनी हुई है और इसके त्योहार शुरू होने के साथ बढ़ने की उम्मीद है. घरेलू स्तर पर वित्तीय परिस्थितियां भी आर्थिक वृद्धि का समर्थन कर रही है.
इस तारीख को होगी अगली बैठक
केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि लेख में व्यक्त की गई राय लेखकों की हैं और रिजर्व बैंक के विचारों को नहीं दर्शाती है. आरबीआई गवर्नर के अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय बैंक ने महंगाई को काबू में करने के लिए रेपो दर में मई से अब तक 1.40 प्रतिशत की वृद्धि की है. मौद्रिक समिति की अगली बैठक 28 से 30 सितंबर, 2022 को होगी.