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खैरागढ़ सीट के लिए होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवार तय कर दिए हैं। BJP ने कोमल जंघेल को उम्मीदवार बनाया है या यूं कहें कि 5वीं बार भरोसा जताया है। कोमल जंघेल वहीं नेता हैं, जिन्होंने खैरागढ़ में 47 साल बाद राजपरिवार के मिथक को तोड़ा था। साल 2007 में उन्होंने पहली बार राजा देवव्रत सिंह की पत्नी पद्मा सिंह को शिकस्त देकर खैरागढ़ में कमल खिलाया।
दरअसल, साल 1960 से 1993 के बीच हुए खैरागढ़ विधानसभा के चुनाव में हमेशा से रानी रश्मि देवी सिंह जीतती रहीं। उनके निधन से 1995 में सीट खाली हुई तो उपचुनाव में उनके ही बेटे देवव्रत सिंह ने जीत दर्ज की। इसके बाद 1998 और 2003 के चुनाव में भी देवव्रत सिंह ने बाजी मारी। हालांकि इसके बाद का एक वक्त ऐसा भी था, जब देवव्रत सिंह ने संसदीय चुनाव लड़ा और एक बार फिर खैरागढ़ विधानसभा की सीट खाली हो गई।