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भाजपा ने अब तक 90 पर्सेंट टिकट बांट दिए , उम्मीदवारों को प्रचार के लिए मिलेगा पूरा वक्त

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने अब तक 402 कैंडिडेट्स घोषित कर दिए हैं. शनिवार शाम को ही आई लिस्ट में भाजपा ने 111 नामों का ऐलान करते हुए कई ऐसी सीटों पर भी कैंडिडेट घोषित कर दिए, जिनको लेकर चर्चाएं थीं. इस तरह भाजपा अब तक उन 90 फीसदी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुकी है, जिनमें उसे लड़ना है. माना जा रहा है कि भाजपा ज्यादा से ज्यादा 440 या 450 सीटों पर उतरेगी. ऐसे में पहले राउंड के मतदान से भी करीब 25 दिन पहले 400 उम्मीदवार तय करना उसकी तेजी दिखाता है. पूरे चुनाव में 44 दिनों का वक्त लगना है. ऐसे में इन उम्मीदवारों को प्रचार के लिए भी पूरा वक्त मिलेगा.

एक तरफ भाजपा ने लिस्ट समय रहते जारी की है तो वहीं मौजूदा सांसदों में से लगभग 100 को रिपीट नहीं किया है. इससे पार्टी कई संदेश दे रही है. पहला यह कि पार्टी ने समय रहते कैंडिडेट घोषित करके उन्हें चुनाव प्रचार में उतरने के लिए पर्याप्त समय दिया है. भाजपा अपने दम पर 370 सीटों का टारगेट लेकर चल रही है. पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद सत्र में भी यह बात कही थी. ऐसे में भाजपा को 80 फीसदी तक का स्ट्राइक रेट दिखाना होगा, तभी यह टारगेट मिल सकता है. उम्मीदवारों के पास कम से कम एक महीने का वक्त है कि वे प्रचार कर सकें.

पहले टिकट देने से भाजपा को होंगे कितने फायदे

इतने वक्त में भाजपा उन सीटों पर भी रूठे कार्यकर्ता और नेताओं को मना सकेगी, जहां कुछ कद्दावर नेताओं के भी टिकट काटे गए हैं. इन नेताओं में गाजियाबाद से जनरल वीके सिंह, बक्सर से अश्विनी चौबे, नई दिल्ली से मीनाक्षी लेखी, भोपाल से साध्वी प्रज्ञा, दिल्ली से रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा शामिल हैं. भाजपा ने इस तरह से विवादित नेताओं को दूर किया है तो ऐसे वरिष्ठ नेताओं को भी चुनावी रेस से बाहर किया है, जो लंबे समय से बने हुए थे. बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद पिछले दिनों कहा था कि भाजपा का कैंडिडेट कमल है. पार्टी के लोगों को सिंबल देखते हुए काम करना चाहिए.

NDA का दायरा बढ़ाने और दूसरे दलों के नेताओं संग क्या रणनीति

भाजपा अपने टारगेट को पाने के लिए किस हद तक संजीदा है. इसे आंध्र में टीडीपी और पवन कल्याण से दोस्ती से समझा जा सकता है. इसके अलावा पंजाब में अकाली दल को साथ लाने की कोशिश है. महाराष्ट्र में भाजपा बड़े गठबंधन की नेता है. इस तरह सहयोगी दलों को साथ लाने और विपक्षियों को तोड़ने से भाजपा को फायदे की उम्मीद है. शनिवार को ही नवीन जिंदल भी पार्टी में आए और उन्हें कुरुक्षेत्र से टिकट भी मिला है. भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी जीतने वाली सीटों पर प्रयोग कर रही है और फंसने वाली सीटों पर दूसरे दलों के मजबूत नेताओं को मौका दे रही है. इसके अलावा कमजोर सीटों पर प्रयोग भी हो रहे हैं और चौंकाने वाले नाम दिए जा रहे हैं.

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