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ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर केंद्र ने रखा अपना पक्ष, कहा- आरक्षित वर्गों की सीट की संख्या पर नहीं पड़ेगा असर

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 103वें संविधान संशोधन का बचाव करते हुए मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि नामांकनों में आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्गों के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले से सामान्य और आरक्षित श्रेणियों के लिए सीट की उपलब्धता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

चीफ जस्टीस की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही सुनवाई

चीफ जस्टिस यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने प्रवेश और सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था. इससे पहले, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने संविधान पीठ को सूचित किया कि सरकार ने सीट बढ़ाने की मांग को पूरा करने के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचा तैयार करने के वास्ते केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों को 4,315 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं.

स्कॉलरशिप का डेटा भी मांगा

सुनवाई के अंत में, पीठ ने विधि अधिकारी से कहा कि वह व्यावसायिक पाठ्यक्रम करने वालों के लिए उपलब्ध छात्रवृत्ति की संख्या के बारे में डेटा प्रदान करें. सातवें दिन की सुनवाई के दौरान जवाब दाखिल करने वाले विधि अधिकारी ने कहा कि संसद को कार्रवाई करने के लिए ऐसे आंकड़ों की आवश्यकता होगी और ये मुद्दे संशोधन की संवैधानिकता को प्रभावित नहीं करेंगे.

संविधान पीठ में कौन-कौन है शामिल

दूसरी ओर, शिक्षाविद मोहन गोपाल, रवि वर्मा कुमार, पी विल्सन, मीनाक्षी अरोड़ा, संजय पारिख और के एस चौहान सहित वरिष्ठ वकीलों और अधिवक्ता शादान फरासत ने पीठ से संविधान संशोधन को रद्द करने का आग्रह किया. संविधान पीठ में न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला शामिल हैं.

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