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बैंक ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जितनी जानकारी दी उससे हम नाराज कोर्ट

उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने  कहा, हमारे स्पष्ट आदेश के बावजूद एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी नहीं दी. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने नाराजगी जताते हुए पूछा, एसबीआई की ओर से कौन पेश हो रहा है? उन्होंने कहा, सच कहें, तो बैंक ने जितनी जानकारी मुहैया कराई है, उसे लेकर हम नाराजगी जता सकते हैं क्योंकि वह बॉन्ड के यूनिक नंबर का खुलासा करने के लिए कर्तव्यबद्ध थे.

इससे पहले, निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को उन संस्थाओं की पूरी सूची जारी की जिन्होंने राजनीतिक चंदा देने के लिए चुनावी बॉन्ड खरीदे थे. आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर ये आंकड़े सार्वजनिक किए जाने के एक दिन बाद मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि एसबीआई को सभी जानकारियां मुहैया करानी होंगी. विशिष्ट अक्षरांकीय संख्या का उन लोगों से मिलान किया जाएगा जिन्होंने उन दलों के चुनावी बॉण्ड खरीदे हैं जिन्हें उन्होंने चंदा दिया था.

न्यायालय, निर्वाचन आयोग की उस अर्जी पर सुनवाई कर रहा था जिसमें चुनावी बॉन्ड मामले में न्यायालय के 11 मार्च के आदेश के एक हिस्से में संशोधन का अनुरोध किया गया है. न्यायालय ने अपने पंजीयक (न्यायिक) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि निर्वाचन आयोग द्वारा सीलबंद कवर में सौंपे गए आंकड़ों को स्कैन किया जाए और उन्हें डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराया जाए. आयोग के वकील ने कहा कि उन्होंने 11 मार्च के आदेश में मामूली संशोधन के लिए अर्जी दायर की है जिसमें यह निर्देश दिया गया है कि आयोग अदालत को सौंपे गए आंकड़ों को वेबसाइट पर अपलोड करेगा. उन्होंने कहा आयोग ने उन आंकड़ों की कोई प्रति नहीं रखी है जिन्हें अदालत को सौंपा गया है क्योंकि इसे सीलबंद कवर में दिया गया था.

फैसले की समीक्षा के लिए सीजेआई को पत्र

ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश सी अग्रवाल ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने आग्रह किया कि वह शीर्ष कोर्ट के उस निर्देश की स्वत संज्ञान लेकर समीक्षा करें जिसमें कहा गया है निर्वाचन आयोग चुनावी बॉन्ड मामले में एसबीआई द्वारा साझा की गई जानकारी को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा. अग्रवाल ने गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश को व्यक्तिगत रूप से पत्र लिखा. कहा, मैं शीर्ष कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा पारित निर्णय का स्वागत करता हूं, क्योंकि फैसले में बताए गए कारणों से उक्त योजना को अमान्य करार देना जरूरी था.

संविधान पीठ ने शीर्ष कोर्ट के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि निर्वाचन आयोग द्वारा सीलबंद कवर में सौंपे गए चुनावी बॉन्ड के आंकड़ों को स्कैन करके, उन्हें डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराया जाए. आयोग की ओर से पेश अधिवक्ता ने पीठ से कहा, 11 मार्च के आदेश के उस हिस्से में मामूली संशोधन की जरूरत है, जिसमें यह निर्देश दिया गया है कि निर्वाचन आयोग अदालत को सौंपे गए आंकड़ों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा.

 

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