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नई दिल्ली। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने उज्बेकिस्तान में एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लिया और इस मौके पर उन्होंने भारत की जमकर तारीफ की. अलीपोव ने कहा कि अमेरिकी धमकियों के बावजूद भारत ने S-400 मिसाइल प्रणाली के समझौते के लिए हाथ आगे बढ़ाया, जो दिखाता है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को सबसे ऊपर रखता है.
अलीपोव ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच होने वाले अहम बैठक से पहले यह टिप्पणी की है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच होने वाली आगामी बैठक में रणनीतिक स्थिरता, एशिया प्रशांत क्षेत्र की स्थिति, संयुक्त राष्ट्र और जी-20 के भीतर द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है.
अलीपोव का बयान
एक रिपोर्ट के अनुसार रूस और भारत आपस में होने वाले समझौतों को तय समय सीमा में पूरा करने में दिलचस्पी रखते हैं और उसके लिए प्रतिबद्ध हैं. इसी कड़ी में रूस और भारत के रक्षा समझौते के तहत S-400 मिसाइल प्रणाली को तय समय में भारत को दिया गया है.
अमेरिका ने दी थी भारत को धमकी
भारत और रूस के बीच हुए रक्षा समझौते के तहत एस-400 मिसाइल प्रणाली की खेप भारत को मिल चुकी है. रूस का एस-400 मिसाइल सिस्टम दुनिया का सबसे ए़डवांस डिफेंस मिसाइल सिस्टम है. इस डील को लेकर एक दिलचस्प बात ये है कि अमेरिका ने भारत को धमकी थी कि अगर भारत इस डील के लिए हाथ बढ़ाता है तो उसे अमेरिका के काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (CAATSA) का सामना करना पड़ेगा.
इस एक्ट के तहत अगर कोई देश रूस, ईरान या उत्तर कोरिया से रक्षा या जासूसी संबधी किसी काम की डील करता है तो उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है. गौरतलब है कि अमेरिका ने अभी तक भारत के ऊपर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं लगया है. इस डील के तहत भारत ने एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयों की खरीद के लिए अक्टूबर 2018 में पांच अरब अमेरिकी डॉलर के समझौते पर दस्तखत किए थे. रूस ने पिछले साल दिसंबर में इस रक्षा मिसाइल प्रणाली की पहली खेप भारत पहुंचाई थी.