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भारत में ही निर्माण करने की योजना से , भविष्य में विदेशों से लड़ाकू विमान नहीं खरीदने पड़ेंगे

नई दिल्ली. देश में जीई के एफ-414 इंजनों के निर्माण शुरू होने से भारत अत्याधुनिक सुपरसोनिक लड़ाकू विमान बनाने में आत्मनिर्भर हो जाएगा. वायुसेना और नौसेना को विदेशों से लड़ाकू विमान खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मौजूदा समय में रक्षा आधुनिकीकरण के बजट का एक बड़ा हिस्सा लड़ाकू विमानों के आयात पर खर्च होता है.

एफ-414 इंजनों की खरीद के भारत सरकार और अमेरिका के बीच पिछले साल ही प्रक्रिया शुरू हो गई थी. कुल 5375 करोड़ रुपये की लागत से 99 इंजन जीई से खरीदे जाने हैं. लेकिन अब इनके भारत में ही निर्माण का रास्ता साफ होने से स्पष्ट है कि तकनीक हस्तांतरण के जरिये इनका निर्माण हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में ही किया जाएगा. नए समझौते के तहत अधिक इंजन बनाने का मार्ग भी प्रशस्त होगा.

भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस में अभी भी जीई का इंजन एफ-404 लगा है. यह भी एक बेहद सफल इंजन है, लेकिन एफ-414 में कई और सुधार किए गए हैं. इस इंजन के इस्तेमाल से लड़ाकू विमान को आवाज की गति से भी तेज रफ्तार यानी करीब 800 मील प्रति घंटे तक उड़ाना संभव हो सकता है.

एफ-414 की ईंधन खपत कम है. इसलिए विमान के उड़ान घंटे बढ़ जाते हैं. इंजन का वजन कम होने से विमान में ज्यादा हथियार फिट किए जा सकते हैं. इसके अलावा इससे कम उत्सर्जन होता है. रखरखाव आसान है साथ ही इंजन में शोर बहुत कम होता है. वह ज्यादा शक्तिशाली भी है.

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