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छत्तीसगढ़ में हुक्का बार के कारोबार को अपराध बनाने वाले विधेयक को राज्यपाल अनुसूईया उइके की मंजूरी मिल गई है। राज्यपाल ने सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद, विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, प्रदाय और वितरण का विनियमन अधिनियम के बदले हुए प्रारूप पर हस्ताक्षर कर दिए। अब इस विधेयक को राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।
छत्तीसगढ़ विधानसभा ने शीतकालीन सत्र के दौरान इस संशोधन विधेयक को पारित किया था। नए प्रावधानों के मुताबिक इस अधिनियम में लिखी किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति, स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति की ओर से, कोई हुक्का बार नहीं खोलेगा या हुक्का बार नहीं चलाएगा या रेस्टोरेंट सहित किसी भी स्थान पर ग्राहकों को हुक्का नहीं देगा।
कोई भी व्यक्ति, किसी भी सार्वजनिक हुक्का बार में हुक्का या नरगिल गड़गड़ाकर धूम्रपान नहीं करेगा। संशोधन में नई धारा जोड़कर जब्ती का प्रावधान भी बनाया गया है। इसके मुताबिक यदि उप निरीक्षक की श्रेणी या उससे बड़े रैंक के किसी पुलिस या आबकारी अधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण है बार में कानून का उल्लंघन किया जा रहा है तो हुक्का बार के विषय या साधन के रूप में उपयोग की जाने वाली किसी भी सामग्री या वस्तु को जब्त कर सकेगा। राष्ट्रपति से अनुमोदित होने के बाद यह अधिनियम राजपत्र में प्रकाशित होगा। उसके बाद से ही छत्तीसगढ़ राज्य में सरकार को हुक्का बार पर कार्रवाई करने और संचालकों को सजा दिलाने का अधिकार मिलेगा।
संचालक को तीन साल जेल की व्यवस्था
संशोधित कानून के जरिए हुक्का बार संचालकों और वहां जाकर हुक्का गड़गड़ाने वालों के लिए सजा का भी प्रावधान है। इसके मुताबिक हुक्का बार संचालक तीन साल तक की जेल और 50 हजार रुपए जुर्माने की सजा दी जाएगी। यह सजा एक साल की जेल और 10 हजार रुपए के जुर्माने से कम नहीं होगी। हुक्का गुड़गुड़ाने वालों को भी पांच हजार रुपए तक के जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान है।