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पंजाब चुनाव: प्रचार के अंतिम दिन में शहरों में बीजेपी का जलवा, गांवों में AAP मजबूत, अकाली दल कर सकता है सरप्राइज

रोचक होंगे पंजाब के चुनाव

पंजाब विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने वोटरों को लुभाने की खूब कोशिश की, मगर इस बार मतदाता नेताओं को चौंकाने के मूड में दिख रहा है। इस चुनाव में कई बड़े चेहरों को तगड़ा झटका लगने जा रहा है। इस बार सबसे बड़ी भूमिका साइलेंट वोटर की रहने वाली है। यही वोटर इस बार डिसाइडिंग फैक्टर रहेगा। इस बार सबसे बड़े नुकसान की संभावना कांग्रेस पार्टी को है और इसके लिए कोई और नहीं, बल्कि खुद कांग्रेस ही जिम्मेदार है। कांग्रेस का थिंक टैंक प्रचार के दौरान अपनी लाइन और लैंथ ही तय नहीं कर पाया।
पार्टी में टिकट बंटवारे के साथ शुरू हुआ विवाद प्रचार के अंतिम दिन तक चलता रहा। खुद पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिद्धू अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के साथ बेहद क्लोज फाइट में फंस गए। कैप्टन अमरिंदर सिंह की बात करें तो पटियाला अर्बन के मतदाता तमाम नाराजगी के बावजूद उन्हें एक और मौका देने के मूड में हैं। हालांकि, उनका विनिंग मार्जिन कम रहेगा। अकाली दल के लिहाज से देखा जाए तो पार्टी को एक बार फिर अपने सबसे बड़े नेता प्रकाश सिंह बादल की याद आई।

पार्टी ने चुनाव प्रचार के अंतिम दिन अपनी कैंपेनिंग थीम ‘वीर-सुखबीर’ को डाउन करते हुए प्रकाश सिंह बादल के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों को हाईलाइट करते हुए लोगों से अपने पक्ष में वोट की अपील की। अगर वोट % बरकरार रहा तो अकाली दल सरप्राइज कर सकता है। हालांकि, बादल के पूरे पंजाब में प्रचार के लिए नहीं पहुंचने का नुकसान अकाली दल को हो सकता है।
BJP ने एक बार फिर अपने रणनीतिक कौशल का परिचय देते हुए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की कंट्रोवर्शियल चीजों को इस तरह उठाया कि दोनों दल प्रचार के आखिरी दिनों में उसी में फंसे नजर आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी अबोहर रैली में ‘यूपी के भईया विवाद’ को लेकर कांग्रेस को जिस तरह घेरा, उसका तोड़ पार्टी प्रचार समाप्ति तक भी खोज नहीं पाई। प्रचार के आखिरी तीन दिनों में शहरों में BJP कुछ मजबूत होती दिखी।

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