छत्तीसगढ़ में मानसून का दिखा असर, प्रदेश के अधिकांश बांधों में पानी लबालब, गंगरेल और तांदुला बांध में 94% पानी

छत्तीसगढ़ में इस साल बेहतर मानसून की वजह से राज्य के सिंचाई बांधों और जलाशयों में जलभराव की स्थिति बीते दो सालों की तुलना में बेहतर है. राज्य की 12 वृहद सिंचाई परियोजनाओं में आज की स्थिति में 4756.670 एमसीएम जलभराव है, जो कि इनकी कुल जलभराव क्षमता का 88.81 प्रतिशत है. इसी तरह राज्य की कुल 34 मध्यम परियोजनाओं में 936.710 मिलियन एमसीएम जलभराव है, जो कि इनकी कुल जलभराव क्षमता का 93.25 प्रतिशत है. वर्ष 2020 में वृहद एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं में इसी अवधि में जलभराव की स्थिति क्रमशः 86.67 एवं 86.20 प्रतिशत थी, जबकि वर्ष 2021 में वृहद एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं में 86.44 तथा 80.79 प्रतिशत जलभराव था.

प्रदेश की 12 बड़ी सिंचाई परियोजनाओं में शामिल सिकासार, खारंग और मनियारी जलाशय लबालब हैं. मिनीमाता बांगो में 84.5% और रविशंकर गंगरेल बांध में 93.35% पानी है. पिछले 2 वर्षों से जलभराव की कमी से जूझ रहे बालोद का तांदुला बांध की स्थिति इस साल काफी बेहतर है. तांदुला जलाशय में 93.64% पानी है. कांकेर स्थित दुधावा और धमतरी जिले का मॉडल सिल्ली बांध भी लबालब होने की स्थिति में है. इन दोनों बांधों में 99% पानी है. सोंढूर डेम में 91.70%, कोडार बांध में 66.48%, केलो बैराज में 94.11% पानी है. बड़े सिंचाई बांध में से एकमात्र अरपा भैंसाझार बैराज में 50% पानी है.

राज्य की मध्यम सिंचाई परियोजनाओं में बालोद जिला स्थित खरखरा डेम, बस्तर जिले के कोसार टेडा बांध, कांकेर जिले के परालकोट एवं मायना डेम, कबीरधाम जिले के छीरपानी, सरोदा एवं बहेराखार, राजनांदगांव जिले के पिपरिया नाला, रूसे डेम एवं मोंगरा बैराज, रायगढ़ जिले के खमारपकुट, सरगुजा जिले के बरनाल डेम और बिलासपुर जिले के घोंघा, कोरिया जिले के झुमका में 100 प्रतिशत जलभराव है.

छत्तीसगढ में हल्की से मध्यम वर्षा की चेतावनी

मौसम विज्ञानी एचपी चंद्रा के मुताबिक मॉनसून की विदाई का क्षेत्र आगे बढ़ने के लिए स्थितियां अनुकूल बनी हुई है. अगले 2 से 3 दिनों में राजस्थान तथा उससे लगे राज्यों के कुछ भाग से मानसून की विदाई हो सकती है. मौसम विभाग के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 29 सितंबर को कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है. प्रदेश में एक-दो स्थानों पर गरज चमक के साथ आकाशीय बिजली भी गिर सकती है. एक ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी-तटीय आंध्र प्रदेश के ऊपर स्थित है. यह 1.5 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है.

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