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एक रुपए वाले डॉ. सुशोभन बंद्योपाध्याय नहीं रहे

गरीबों के मसीहा और एक रुपए वाले डॉक्टर के नाम से प्रसिद्ध पद्मश्री डॉ. सुशोभन बंद्योपाध्याय का मंगलवार को निधन हो गया. वे 84 वर्ष के थे. वे 57 वर्ष से पश्चिम बंगाल के बोलपुर में एक रुपए फीस लेकर गरीबों का इलाज करते थे.

पीएम और सीएम ने जताया गहरा शोक
मानवतावादी थे पद्मश्री डॉ. बंद्योपाध्याय: मोदी
कोलकाता. गरीबों के मसीहा और एक रुपए वाले डॉक्टर के नाम से प्रसिद्ध पद्मश्री डॉ. सुशोभन बंद्योपाध्याय का मंगलवार को निधन हो गया. वे 84 वर्ष के थे. वे 57 वर्ष से पश्चिम बंगाल के बोलपुर में एक रुपए फीस लेकर गरीबों का इलाज करते थे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डॉ. बंद्योपाध्याय के निधन पर गहरा शोक जताया. प्रधानमंत्री ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ मानवीय भावनाओं का प्रतीक करार दिया. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ने उन्हें जनहितैषी करार दिया.

बड़े दिल वाले व्यक्ति के रूप में किए जाएंगे याद
पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि डॉ. बंद्योपाधयाय सर्वश्रेष्ठ मानवीय भावनाओं के प्रतीक थे. उन्हें एक दयालु और बड़े दिल वाले व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा. उन्होंने इलाज कर कई लोगों को स्वस्थ किया. मुझे पद्म पुरस्कार समारोह में उनके साथ हुई बातचीत याद है. उनके निधन से दुखी हूं. उनके परिवार के प्रति संवेदना.

जनहितैषी और परोपकारी थे सुशोभन: ममता
ममता बनर्जी ने ट्वीट किया कि जनहितैषी और परोपकारी डॉक्टर सुशोभन बंद्योपाध्याय के निधन के बारे में जानकर दु:ख हुआ. बीरभूम में एक रुपए के डॉक्टर अपने जन-हितैषी परोपकार के लिए जाने जाते थे. मैं अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं.

20 लाख से अधिक मरीज देखने का विश्व रेकॉर्ड
वर्ष 2020 में केन्द्र सरकार ने डॉ. सुशोभन को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया. उसी वर्ष उन्होंने सब से अधिक रोगियों को देखने का विश्व रेकॉर्ड बनाया. उन्होंने 20 लाख से अधिक रोगियों का इलाज किया था. सबसे अधिक रोगियों के इलाज के लिए गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज किया गया.

किडनी के रोग से थे ग्रस्त
डॉ. बंद्योपाध्याय पिछले कुछ महीनों से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे. तबीयत अधिक बिगडऩे पर 20 दिन पहले उन्हें उत्तर कोलकाता के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां उन्होंने मंगलवार सुबह 11.30 बजे अंतिम सांस ली.

बोलपुर से थे विधायक भी
डॉ. सुशोभन एक बार बोलपुर से कांग्रेस के विधायक चुने गए थे. बाद में तृणमूल कांग्रेस के गठन होने पर ममता बनर्जी ने उन्हें अपनी पार्टी का बीरभूम जिलाध्यक्ष बनाया.

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