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सरकार के श्वेत पत्र पर सियासी वार-पलटवार

केंद्र सरकार की ओर से अर्थव्यवस्था की स्थिति पर लाए गए श्वेत पत्र को लेकर संसद में खूब सियासी शब्दबाण चले. केंद्र ने कहा कि अगर यूपीए सरकार ने सच्ची गंभीरता, पारदर्शिता और राष्ट्र को प्रथम रखकर काम किया होता, तो परिणाम सकारात्मक होते. वहीं कांग्रेस ने दस वर्ष बाद श्वेत पत्र लाने को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘भारतीय अर्थव्यवस्था और देश के नागरिकों पर इसके प्रभाव पर श्वेत पत्र’ को लोकसभा में चर्चा के लिए प्रस्तुत करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने कोयला को राख बना दिया था, हमने कोयला को हीरा बनाया है. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार में कोयला घोटाले की वजह से देश को बहुत नुकसान हुआ. वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता संभाली थी, तब अर्थव्यवस्था संकट में थी. श्वेत पत्र में बताया गया है कि किस तरह मोदी ने देश को सम्मान दिलाने के लिए दस साल में काम किया.

कांग्रेस ने कहा, यह राजनीतिक घोषणापत्र कांग्रेस ने केंद्र सरकार के श्वेत पत्र को राजनीतिक घोषणापत्र करार दिया. लोकसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यूपीए सरकार ने वर्ष 2004 से 2014 के बीच कई मूलभूत सुधार किए थे. इससे देश की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक नींव मजबूत हुई. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि श्वेत पत्र पर कोई विश्वास करने वाला नहीं है.

तीन शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा भारत निर्मला

सीतारमण ने कहा कि भारत दुनिया की तीन शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने के करीब है. ऐसे में यह श्वेत पत्र पूरी जिम्मेदारी और गंभीरता से रखा गया है. संसद के रिकॉर्ड में भविष्य के लिए यह तथ्यात्मक जानकारी होनी चाहिए.

 

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