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‘मरम्मत का अधिकार’ ग्राहकों के लिए कारगर हथियार बनेगा

नई दिल्ली. सरकार उत्पादों के ‘इस्तेमाल करो और फेंको’ की अवधारणा को ‘मरम्मत का अधिकार’ में तब्दील करना चाहती है, जिससे उपभोक्ताओं के साथ-साथ देश को भी फायदा होगा. एक तरफ रोजगार सृजन होगा तो दूसरी तरफ ई-कचरे की बढ़ती मात्रा पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी. इसकी कितनी जरूरत है और यह किस तरह से उद्योग जगत के तौर-तरीकों को बाधित कर सकता है, इसके बारे में मिंट ने विस्तार से जानकारी दी है.

यह एक योजना उपभोक्ताओं को बार-बार नया उत्पाद खरीदने के बजाय पुराने सामान की मरम्मत का विकल्प देती है. इस योजना के तहत उत्पाद की मरम्मत केवल मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएमएस) या उनके भागीदारों पर निर्भर रहने के बजाय तीसरे पक्ष सेवा प्रदाताओं (यहां तक कि वारंटी अवधि के दौरान) के जरिए उचित लागत पर करवाई जा सकेगी. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने जुलाई 2022 में यह विचार पेश किया और इसकी रूपरेखा तैयार करने के लिए एक समिति गठित की.

सरकार मौजूदा उत्पादों की ‘इस्तेमाल करो और फेंको’ की प्रवृत्ति को खत्म करना चाहती है. वह खराब उत्पादों की मरम्मत कर उन्हें इस्तेमाल करने पर जोर देना चाहती है. इससे अर्थव्यवस्था के चक्र को बढ़ावा मिलेगा. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सिर्फ 2021-22 में 16 लाख टन ई-कचरा पैदा हुआ और इसके केवल एक तिहाई हिस्से को ही रिसाइकिल किया जा सका. उम्मीद है कि 2070 तक कार्बन तटस्थता हासिल करने में भारत के लिए यह अधिकार भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा.

मार्च 2021 में यूरोपीय संघ ने मरम्मत के अनिवार्य अधिकार पर कानून भी पारित किया. अमेरिका ने जुलाई 2021 में इसका अनुसरण किया. ब्रिटेन की भी ऐसी ही नीति है. इसकी रूपरेखा तैयार करने वाली समिति जब अपनी रिपोर्ट सौंपेगी तो भारत में भी इसे लेकर कानून बनाया जाएगा.

उदाहरण के लिए, वाहन खरीदार को अधिकृत डीलर के पास ही मरम्मत कराने के लिए मजबूर होना पड़ता है क्योंकि यदि वे तीसरे पक्ष के सेवा प्रदाता के पास जाते हैं तो वे वारंटी खो देंगे. मूल निर्माता डीलरों के लिए गुणवत्ता वाले स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता को भी प्रतिबंधित करते हैं. ग्राहक को हमेशा अधिक भुगतान करना पड़ता है. कानून प्रभावी हो जाने पर, निर्माता द्वारा दी जाने वाली वारंटी तीसरे पक्ष की संस्थाओं के लिए भी मान्य होगी. इससे वे ग्राहक खो देंगे.

दिसंबर 2022 में निर्माताओं के पंजीकरण के लिए शुरू पोर्टल में केवल 41 ने ही पंजीकरण कराया. सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक, कृषि उपकरण, उपभोक्ता वस्तु और ऑटो क्षेत्र की 112 कंपनियों से कहा कि ग्राहकों को ‘मरम्मत का अधिकार’ मिले. निर्माता व्यवसाय में बड़े व्यवधान के डर से इसका विरोध कर रहे हैं.

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