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पात्रा चॉल केस में बुरे फंसे संजय राउत, बढ़ेंगी और मुश्किलें

मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शिवसेना सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि पात्रा चॉल रिडेवलपमेंट (Patra Chawl Scam) प्रोजेक्ट से जुड़े धन शोधन में नेता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और पर्दे के पीछे रह काम किया है. राज्य सभा सदस्य को इस मामले में जुलाई में गिरफ्तार किया गया और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं.

संजय राउत ने स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में जमानत की अर्जी दी है. प्रवर्तन निदेशालय ने संजय राउत की इस दलील को खारिज किया कि उनके खिलाफ कार्रवाई राजनीतिक बदले के रूप में की गई है.

‘पर्दे के पीछे से काम कर रहे हैं संजय राउत’

ED ने कहा, ‘आरोपी ने अपने प्रॉक्सी और करीबी सहयोगी प्रवीण राउत के जरिए अपराध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. धन के लेन-देन से बचने के लिए संजय राउत पर्दे के पीछे से काम कर रहे हैं. ईडी पात्रा चॉल रिडेवलपमेंट स्कैम प्रोजेक्ट में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है.

कैसे पात्रा चॉल केस में बढ़ा विवाद?

पात्रा चॉल प्रोजेक्ट 47 एकड़ से ज्यादा भूमि में फैला हुआ है और उसमें 672 किराएदार परिवार रहते थे. महाराष्ट्र आवासीय आर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण ने साल 2008 में पात्रा चॉल के रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट का काम HDIL से जुड़ी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रेक्शन प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा था.

क्यों सामने आया भ्रष्टाचार?

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक कंस्ट्रक्शन कंपनी को किराएदारों के लिए 672 फ्लैट बनाने थे और कुछ फ्लैट उसे महाडा को भी देने थे. बाकी बची जमीन वह निजी डेवलपर्स को बेच सकता था. 14 साल बाद भी किराएदारों को एक फ्लैट नहीं मिला क्योंकि कंपनी ने पात्रा चॉल का रिडेवलपमेंट नहीं किया. सारी जमीन को दूसरे बिल्डरों को 1,034 करोड़ रुपये में बेच दी थी.

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