गैंगेस्टर लॉरेन्स बिश्नोई का साथी दीपक टीनू पुलिस कस्टडी से फरार हो गया है. मानसा पुलिस टीनू को कपूरथला जेल से रिमांड पर लाई थी. उसी वक्त वो वहां से फरार हो गया है. मूसेवाला मर्डर केस की प्लानिंग में आखिरी कॉन्फ्रेंस कॉल लॉरेन्स और टीनू के बीच 27 मई को हुई थी. इसके बाद 29 मई को मूसेवाला की हत्या कर दी गई. बड़ी मुश्किल से ये गैंगस्टर पुलिस गिरफ्त में आया था. अभी पुलिस की तरफ से कोई भी आधिकारिक बयान सामने नहीं आया. फरार के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. आखिरकार कड़ी सुरक्षा के बीच टीनू कैसे फरार हुआ. खूंखार गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का साथी दीपक टीनू पुलिस कस्टडी से फरार हुआ है. पंजाब पुलिस की कई टीमें उसको खोजने में लगी हैं. दीपक टीनू सिद्धू मूसेवाला हत्या में आरोपी है. मनसा पुलिस रिमांड में लेकर जा रही थी तभी ये फरार हुआ है. जानकारी के मुताबिक पूरे पंजाब में अलर्ट कर दिया गया है. मानसा पुलिस के अलावा पुलिस के कई टीमें रेड कर रही हैं. अभी आधिकारिक तौर पर पुलिस कुछ भी कहने से बच रही है.
वहीं इससे पहले सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में शामिल तीन फरार शार्प शूटरों को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया था. DGP पंजाब ने बताया कि केंद्रीय एजेंसियों की मदद से पंजाब और दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के बीच एक संयुक्त अभियान के तहत दीपक उर्फ मुंडी और उसके सहयोगियों कपिल पंडित और राजेंद्र उर्फ जोकर को गिरफ्तार किया गया.
डीजीपी ने बताया, “दीपक, पंडित और राजिंदर को आज एजीटीएफ (एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स) टीम द्वारा पश्चिम बंगाल-नेपाल सीमा पर एक खुफिया-आधारित ऑपरेशन की परिणति में गिरफ्तार किया गया है. दीपक बोलेरो मॉड्यूल में शूटर था, पंडित और राजिंदर ने उसे हथियारों और ठिकाने सहित रसद सहायता प्रदान की थी.”
सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में शामिल 3 शार्पशूटर प्रियवर्त फौजी, अंकित सेरसा और कशिश उर्फ कुलदीप को दिल्ली पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है जबकि दो शूटर एनकाउंटर में ढेर हो चुके थे. बता दें कि पंजाब के मानसा जिले में 29 मई, 2022 को सिद्धू मूसेवाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. 25 अगस्त को पुलिस ने मूसेवाला हत्याकांड में 1850 पन्नों का आरोपपत्र दायर किया था. इस आरोपपत्र में कुल 36 आरोपियों में से 24 के नाम दिए गए हैं. आरोपपत्र के अनुसार कनाडा में रहने वाला कुख्यात अपराधी गोल्डी बरार मूसेवाला की हत्या का मुख्य साजिशकर्ता था और उसने इस घटना को अंजाम देने के लिए गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और जग्गू भगवानपुरिया तथा कुछ अन्य लोगों की मदद ली थी.