छत्तीसगढ़

मढ़ी में प्रस्तावित गौरी गणेश इस्पात उद्योग की जनसुनवाई में प्लांट लगाने का पुरज़ोर विरोध


ग्राम मढ़ी, ब्लॉक – तिल्दा में आज प्रस्तावित गौरी गणेश इस्पात उद्योग के सम्बंध में पर्यावरण विभाग द्वारा जनसुनवाई रखी गयी थी । प्रदेश कांग्रेस कमेटी (ओबीसी) के प्रदेश महामंत्री भावेश बघेल ने ग्रामीणों के आग्रह पर इस जनसुनवाई में हिस्सा लिया और ग्रामीणों की माँग और उद्योग लगाने के विरोध को जनसुनवाई में उपस्थित पीठासीन अधिकारी के सामने रखा ।
भावेश बघेल ने कहा की प्लांट की प्रस्तावना रिपोर्ट में जलसो और धनोली जलाशय से पानी लेने की बात कही गयी हैं जबकि दोनों ही जलाशय से जल का प्रयोग आस पास के क्षेत्रों में खेतों की सिंचाई के लिए किया जाता हैं । कृषि प्रधान क्षेत्र में किसान और खेती को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और छत्तीसगढ़ की सरकार निरंतर इस ओर प्रतिबद्ध हैं । ऐसी स्थिति में उद्योग के लिए जलाशय से पानी दिए जाने से कृषि संकट खड़ा हो सकता हैं । प्रस्तावित प्लांट के निकट ही प्राथमिक शाला स्थित हैं एवं प्लांट लगने से बच्चों के स्वास्थ पर विपरीत असर पड़ेगा । इसलिए उन्होंने इस उद्योग का पुरज़ोर विरोध किया ।
किसान नेता वैभव शुक्ला ने अपने सम्बोधन में कहा की छतीसगढ़ कृषि प्रधान प्रदेश हैं और छतीसगढ़ सरकार प्रदेश के मुखिया माननीय भूपेश बघेल जी के नेतृत्व में निरंतर किसानों और मज़दूरों के लिए उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं । उद्योग लगने से आस पास की कृषि भूमि पर प्रतिकूल असर पड़ेगा एवं खेतों की उत्पादक क्षमता में कमी आएगी । साथ ही गौरी गणेश उद्योग में अपनी प्रस्तावना में कहीं भी क़ानूनी रूप से स्थानीय लोगों को रोज़गार देने की बात नहीं कही हैं जो की छतीसगढ़िया अस्मिता पर आघात हैं । भूमिगत जल का संकट क्षेत्र में व्याप्त हैं और उद्योग लगने से लोगों को जल की कमी से सम्बंधित समस्या का सामना करना पड़ेगा । यह सारी बाते कहते हुए उन्होंने जनमानस के समर्थन में उद्योग लगने का विरोध किया ।
इसके पश्चात भावेश बघेल के नेतृत्व में स्थानीय लोगों ने प्लांट लगने के विरोध में सांकेतिक धरना भी दिया । पीठासीन अधिकारी के आग्रह पर उद्योग के प्रवक्ता ने आपत्तियों पर प्रतिक्रिया देने की कोशिश की परंतु सभी की आपत्तियाँ नहीं सुने जाने के कारण ग्रामीणों के विरोध का उन्हें सामना करना पड़ा । प्रशासन ने जनसुनवाई स्थगित करते हुए आगे की तिथि में पुनः जनसुनवाई करने की बात कही ।
आस पास के सभी प्रभावित गाँवों के जनप्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों ने प्लांट लगने के ख़िलाफ़ लिखित में आपत्तियाँ दर्ज करवायी ।

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